क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है

सलाखों में पहुंचे एसपी व दम्पती
कोटा। घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह, दलाल दम्पती फरहीन व निसार.
Updated: January 16, 2015 12:02:40 pm
कोटा। घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह, दलाल दम्पती फरहीन व निसार को सोमवार को जेल भेज दिया गया। रिमांड अवधि पूरी होने के बाद एसीबी ने सुबह तीनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से 10 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश हुए। इसके बाद इन्हें कोटा सेंट्रल जेल भेजा गया। बरसों पुरानी कोटा जेल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोई आईपीएस वहां पहुंचा है। पेशी से जेल तक के घटनाक्रम पर राजस्थान पत्रिका टीम ने पूरी नजर रखी। पेश है आंखों देखी लाइव रिपोर्ट-
सुबह 7.20
पूर्व में पेशी के दौरान उपजे हालात के मद्देनजर एसीबी ने इस बार तीनों को सुबह जल्दी ही पेश करने का क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है मानस बना लिया था
और यही सूचना शहर पुलिस को दी गई थी। कोर्ट परिसर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी थे। यहां करीब सौ पुलिसकर्मियों का घेरा
था। एसीबी के अधिकारी चार वाहनों से एसपी सहित तीनों को लेकर आए। बिना कोई क्षण गंवाए सीधे कोर्ट में दाखिल हो गए। भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश अवकाश पर होने से अभियुक्तों को जिला न्यायालय में पेश किया गया।
सुबह 7.48
पेशी खत्म। कोर्ट द्वारा जेल भेजने के आदेश होने के बाद अभियुक्तों को वाहनों से जेल के बजाय पुलिस अन्वेषण भवन ले जाया गया। एसीबी की ओर से कहा गया कि न्यायालय से वारंट आने तक सुरक्षा कारणों से अभियुक्तों को यहां लाया गया है। करीब तीन घंटे तक अभियुक्तों को यहीं रखा गया। यह भवन पुलिस का गेस्ट हाउस है। यहां फरहीन व निसार से इनके बच्चे भी मिलने पहुंचे। कुछ बैग लाए और मुलाकात की।
सुबह 10.50
जेल में पहले से जाब्ता पहुंच चुका था। तीन वाहनों से एसीबी के अधिकारी अभियुक्तों को लेकर आए। गाडियों को सीधे गेट के करीब लगाया और तीनों का भीतर दाखिला करा दिया। दो अधिकारी गेट के बाहर खड़े हो गए, फिर इन्होंने कुछ देर बाद कागजात जेल में अंदर सौंपे। इसके बाद तीनों को विधिवत रूप से बंदी की जगह दे दी गई। यहां एसीबी के दो वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनभर कार्मिक क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है आए थे।
बंदियों ने लगाए नारे, एसपी.. हाय-हाय
अभियुक्तों के जेल पहुंचने से पहले बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी जेल पहुंच गए। इस दौरान जैसे ही बंदियों को पेशी के लिए निकाला जाता तो वे समझ जाते कि मीडिया वाले क्यों आए हैं? बंदियों ने एसपी के खिलाफ नारे लगाए।
मुझे जेल में जान का खतरा-एसपी
न्यायाधीश जी. आर. मूलचंदानी ने जैसे ही तीनों को जेल भेजने के आदेश दिए तो सत्यवीर सिंह की ओर से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया। जिसमें कहा कि उनके कार्यकाल के कई संगीन प्रकरणों के मुल्जिम कोटा सेंट्रल जेल में हैं, जिनसे उन्हें जान का खतरा है। इस कारण मुझे कोटा केन्द्रीय कारागार की क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है जगह अन्य किसी भी कारागार में भेजा जाए। प्रार्थना पत्र पर एसीबी के अधिकारियों ने तो कोई आपत्ति नहीं की, लेकिन लोक अभियोजक ने प्रार्थना पत्र पर जवाब के लिए समय चाहा। इस पर न्यायालय ने 5 जून को सुनवाई के तय किया। प्रार्थना पत्र पर आदेश होने तक कोटा जेल में ही रहेंगे।
"पांच-सात लाख में क्या रखा है, खूब खाओ"
जयपुर. खाना है तो खूब खाओ पांच सात लाख में क्या रखा है। कोटा में निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह के लिए रिश्वत लेते पकड़े गए दलाल दम्पती निसार एवं फरहीन कुछ ऎसी ही सोच पर काम कर रहे थे और शहर के थानों में दर्ज मामलों की जांच बदलवाने के बदले "मोटी रकम" मांगते थे। एसीबी की तफ्तीश में खुलासे हो रहे हैं कि निलंबित एसपी सत्यवीर की सहमति से दलाल दम्पती जमीन विवाद मामलों के पीडितों एवं शहर में जुए सट्टे का गोरखधंधा चलानेवालों से उगाही करते थे। एसीबी पूछताछ में कोटा शहर के कई पुलिसकर्मियों की मिलीभगत की बात सामने आई है। पुराने मामलों की पत्रावलियों की जांच बदलने में संदिग्ध भूमिका पाए जाने के बाद इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
जुए के गोरखधंधे में लाखों की बंधी!
शहर में जुआ सट्टा भी फरहीन की मर्जी से चलता था। निसार व फरहीन की मोबाइल ट्रांस्क्रिप्ट में सामने आया है कि जुए का गोरखधंधा चलानेवालों से हर माह लाखों रूपए बंधी ली जाती थी। जुआ चलानेवालों पर अगर पुलिस कार्रवाई करती थी तो फरहीन एसपी से शिकायत कर देती थी। एक एएसपी की कार्रवाई से परेशान होकर सत्यवीर ने कहा था कि वह "ईमानदारी का पुतला है, उसका कुछ नहीं हो सकता।"
. और मुस्कुराता निकला निसार
पूर्व में हुई पेशी के मुकाबले तीनों अभियुक्तों की चाल-ढाल और हावभाव में काफी बदलाव था। फरहीन का पति निसार तो पूरी तरह निश्चिंत नजर आया। अन्वेषण भवन से जेल रवाना करते वक्त उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, बल्कि वह मुस्कुराता हुआ निकला। जबकि एसपी व फरहीन चिंतामग्न थे।
वकील नहीं हुए उपस्थित
अदालतों में 365 दिन कामकाज के उच्चतम न्यायालय के प्रस्ताव के विरोध में अभिभाषक परिषद की ओर से सोमवार को न्यायिक कार्य स्थगित रखा गया था। इस कारण से अदालत में अभियुक्तों की ओर से किसी भी अधिवक्ता ने पैरवी नहीं की और न ही उपस्थित हुए। इस मामले में अब जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा।
रात डेढ़ बजे पहुंची टीम
इससे पहले देर रात करीब डेढ़ बजे से ही एसीबी के अधिकारी तीनों अभियुक्तों को लेकर कोटा पहुंच गए। रात को अन्वेषण भवन में ही रखा गया और सुबह पेश किया गया। अन्वेषण भवन रात से ही पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे।
"फरहीन की अच्छी राजनीतिक पहुंच"
इस मामले में एसीबी की ओर से न्यायालय में पेश दस्तावेज में तर्क दिया गया कि सत्यवीर सिंह कोटा में एसपी रहे हैं। फरहीन व निसार ने उनके साथ मिलीभगत कर कई प्रकरणों में नतीजों को प्रभावित किया है। एसपी महत्वपूर्ण पद है और फरहीन की भी अच्छी राजनीतिक पहुंच है। मुकदमे के अनुसंधान में समय लगेगा। साक्ष्य एकत्रित किए जाने हैं। ऎसे में मुल्जिमों को जमानत पर छोड़े जाने से गवाहों को प्रभावित करने व साक्ष्य खुर्द-बुर्द करने का पूर्ण अंदेशा है। इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज जाए।
यह है प्रकरण
एसीबी जयपुर की टीम ने सत्यवीर सिंह सहित तीनों को दो लाख रूपए की रिश्वत के आरोप में 27 मई को गिरफ्तार किया था। तीनों को अगले दिन भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें 2 जून तक रिमांड पर सौंप दिया था। रिमांड अवधि पूरी होने पर एसीबी अधिकारियों ने तीनों को दोबारा न्यायालय में पेश किया। एसीबी ने न्यायालय से तीनों अभियुक्तों को जेल भेजने की प्रार्थना की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
अनुसंधान अधिकारी ने डाला पड़ाव
मामले में अनुसंधान जयपुर एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी को सौंपा गया है। अभियुक्तों को जेल दाखिल कराने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रकरण में सभी पहलुओं पर अनुसंधान किया जाएगा। फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। आगामी कुछ दिनों तक एसीबी टीम कोटा में ही रहकर तफ्तीश करेगी।
Bhau ने उर्फी को दी धमकी, तो अभिनेत्री Urfi Javed ने भी उन्हें लताड़ा, पढ़े क्या हैं पूरा मामला !
हिंदुस्तानी भाऊ के वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए, उर्फी जावेद ने एक बड़ा नोट लिखा, इस पब्लिसिटी स्टंट के लिए उन्हें बेरहमी से लताड़ लगाई। उर्फी ने पहले अपनी .
इंटरनेट सनसनी और टीवी अभिनेत्री उर्फी जावेद अपने अनोखे लेकिन बोल्ड फैशन विकल्पों के लिए काफी जानी जाती हैं। अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर 3.8 मिलियन की भारी फैन फॉलोइंग का आनंद लेने वाली अभिनेत्री को कई बार अपने फैशन सेंस को लेकर ट्रोल्स से काफी गर्मी का सामना करना पड़ता है। हाल ही में, उन्हें सोशल मीडिया प्रभावित हिंदुस्तानी भाऊ द्वारा ट्रोल किया गया, जिन्होंने उनके फैशन सेंस को निशाना बनाया और एक वीडियो संदेश में उन्हें खुलेआम धमकी दी। हिंदुस्तानी भाऊ ने उर्फी जावेद को फैशन डिजाइनर बनने और खुले तौर पर ऐसे कपड़े पहनने की धमकी देने के लिए एक वीडियो अपलोड किया जो उन्हें प्रभावित नहीं करते। उसने उसे अपनी फैशन पसंद बदलने के लिए कहा या फिर वह उसे जबरदस्ती बदल देगा। “बेटा, क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है सुधार जा नहीं तो में सुधार दूंगा”
हिंदुस्तानी भाऊ के मैसेज पर उर्फी जावेद का जवाब
हिंदुस्तानी भाऊ के वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए, उर्फी जावेद ने एक बड़ा नोट लिखा, इस पब्लिसिटी स्टंट के लिए उन्हें बेरहमी से लताड़ लगाई। उर्फी ने पहले अपनी अभद्र भाषा की ओर इशारा किया और फिर खुलासा किया कि भाऊ लंबे समय से उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उसने उसका मनोरंजन करने से इनकार कर दिया। ‘देश की संस्कृति…’ के बारे में लेते हुए, उर्फी ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर दो लंबी पोस्ट के साथ उन्हें ट्रैश कर दिया। “ओह! या आप जो गली देते हो वो तो क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है भारत का रियाज है, आपका गालियों ने कितने लोगो को सुधारा है। अब जब आपने मुझे खुलेआम धमकी दी है, तो आप जानते हैं कि मैं आपको सलाखों के पीछे डाल सकती हूं, लेकिन रुकिए, क्या आप वहां पहले से ही एक लाख बार नहीं गए हैं? ये तो कितना अच्छा संदेश है यूथ के लिए जेल जाना, अपने से आधी उमर की लड़की को खुलेआम धमकी देना। यह भी याद रखें कि आपने मेरे फोटोग्राफर और मोहसिन से कहा था कि आप मुझसे कुछ महीने पहले बात करना चाहते हैं कि आप अफरीदी के प्रचार में मेरी मदद करना चाहते हैं और मैंने आपको सीधे कहा था कि क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है नहीं, मुझे आपकी मदद नहीं चाहिए! कपडेतब भी मेरे वही थे !
बात यहीं खत्म नहीं हुई, उर्फी जावेद ने अपने प्रशंसकों से कहा कि इस तरह की धमकियां उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ती हैं। एक अन्य पोस्ट में, इंटरनेट सनसनी ने उल्लेख किया कि वह इन धमकियों से डरती नहीं है, लेकिन वह इन संदेशों / धमकियों से प्रभावित होती है क्योंकि लोग उसे मारना चाहते हैं। “ये सचमुच वही लोग हैं जो चाहते थे कि मैं कुछ हफ्ते पहले उनसे मिलूं, उनके साथ दोस्त बनो क्योंकि मैंने उनकी दोस्ती को अस्वीकार कर दिया था, उनकी मदद के कारण मुझे उनके इरादे पता थे अब वे मेरे पास आ रहे हैं। लोग मुझ पर भरोसा करते हैं, वे घंटा परवाह करते हैं कि मैं क्या पहनता हूं, वे केवल प्रचार चाहते हैं।
ईमानदारी से कहूं तो इंटरनेट पर मुझे मारने, मारने की धमकी देने वाले सभी लोगों ने मुझे मानसिक रूप से परेशान किया है। कल्पना कीजिए कि आप मेरी मुद्रा में हैं, हर रोज कोई आपके खिलाफ एक वीडियो अपलोड कर रहा है, जो आपको अपने शरीर पर डालने के कारण आपको पीटने की धमकी दे रहा है। मैंने कभी किसी के बारे में कुछ भी बुरा नहीं कहा, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। मुझे डर नहीं है, लेकिन हां मुझे अपनी सुरक्षा की चिंता है, अगर वे नहीं तो ये लोग आम जनता को मुझे मारने के लिए उकसा रहे हैं, न कि वे एक संदेश दे रहे हैं कि अगर आपको लड़कियों की पोशाक अच्छी नहीं लगती है तो आप मार सकते हैं, धमकी दे सकते हैं। आप सभी अपने बेवकूफी भरे वीडियो के जरिए लड़कियों की काफी सुरक्षा कर रहे हैं।”
अंत में, ऊर्फी एक कामुक महिला होने के नाते, उल्लेख किया कि वह लानत नहीं देती। “चाहे जो भी हो, मैं जो कुछ भी पहनती रहूंगी |
दरगाहों के बिना दिल्ली का क्या मतलब
आप दिल्ली को तब तक नहीं जान सकते, जब तक दरगाहों को न जान लें। सूफी पीरों का दिल्ली से खास रिश्ता.
आप दिल्ली को तब तक नहीं जान सकते, जब तक दरगाहों को न जान लें। सूफी पीरों का दिल्ली से खास रिश्ता है। हमारी ऐतिहासिक इमारतें, मसलन कुतुब मीनार और लाल किला तो मुस्लिम हमलावरों की जीत का निशान हो सकती हैं। कुतुब मीनार के पास बनी कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद तो ऐसा दावा करती भी है। लेकिन सूफियों ने इस्लाम को हिंदुओं के नजदीक लाने का काम किया।
सादिया देहलवी ने इस सिलसिले में कमाल की रिसर्च की है। ‘द सूफी कोर्टयार्ड: दरगाह्ज ऑफ डेल्ही।’ हार्पर कॉलिन्स ने इसे छापा है। यह दिल्ली के सूफियों पर बेहतरीन किताब है। इसमें उनसे जुड़ी कहानियां और चमत्कार शामिल हैं। पिछले दौर के दिल्ली वालों के बारे में यह किताब काफी कुछ कहती है। यह कायदे से लिखी गई है। उसके चित्रंकन भी अच्छे हैं। सचमुच सादिया को सलाम करने का मन होता है।
इदी अमीन
पहली बात तो यह है कि मैं इस किताब का शीर्षक ही नहीं समझ पाया। ‘कल्चर ऑफ द सेपल्कर। इदी अमीन्स मॉन्स्टर रिजीम।’ उसमें इदी अमीन की तस्वीर कवर पर है। मुङो लगा कि उगांडा के पहले अश्वेत शासक पर होगी।
इदी अमीन ने जब वहां की गद्दी संभाली थी, तो उससे कुछ पहले ही मैं वहां गया था। उगांडा में रहने वाले हिन्दुस्तानियों ने मुङो बुलाया था। मैं जिस भी शहर में गया, वहां मैंने कुछ नोटिस देखे। उसमें हिन्दुस्तानी दुकानों के बाहर लिखा था, ‘प्रॉपर्टी ऐंड बिजनेस ऑन सेल।’ यानी कारोबार और जायदाद बिकाऊ है। उनको लगता था कि जब अश्वेत लोग आएंगे, तो उनके घर और दुकानों को लूट लिया जाएगा। इसी डर से कई लोग सब कुछ समेटकर इंग्लैंड और कनाडा चले गए थे। इदी अमीन ने सत्ता हथिया ली। वह उगांडा के राजा बन गए। सबसे पहले उन्होंने गोरे क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है लोगों को रास्ता दिखाया। वह एक सिंहासन पर बैठते थे। अंगरेजों को हुक्म था कि उन्हें शहर भर में पालकी अंदाज में घुमाएं। फिर इदी ने अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने शुरू कर दिए।
एक गजब का हरम भी बनाया। कुछ गुजराती लड़कियों पर उसकी नजर चढ़ी। वे चीनी और कॉटन मिल के मालिकों की बेटियां थीं। वे परिवार उगांडा छोड़कर चले गए। एक दौर के बाद इदी को भी अपनी हत्या का डर सताने लगा। वह भागकर मक्का चले गए। वहीं उनके आखिरी दिन बीते। अमीन की शख्सियत इतिहास व मनोविज्ञान के नाते अपील करती रही है। वैसे मदनजीत सिंह की यह किताब बहुत अच्छी नहीं है। वह कोई खास जानकार नहीं हैं। उन्हें तो जीवनी तक लिखना नहीं आता। यह किताब किसी जानकार को लिखनी चाहिए थी। हैरत है कि इसे इतने मशहूर प्रकाशक ने क्यों छापा? मैं इतना जरूर जानता हूं कि हिन्दुस्तान में किसी से इसके बारे में पूछा ही नहीं गया। शायद पेंगुइन के अंगरेज पार्टनर ने इसे छापने का फैसला ले लिया।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
हत्या के खेल में फंसे युवक
आर्थिक मंदी की मार से भी ब्राजील की रफ्तार रुकी नहीं. ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए ये देश दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना गया. लेकिन यहां के युवाओं में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति इसके माथे पर काले टीके की तरह है.
दुनिया में सबसे ज्यादा हत्याएं ब्राजील में होती हैं. लैटिन अमेरिका स्कूल ऑफ सोशल साइंस के एक रिसर्च के मुताबिक पिछले 30 सालों में ब्राजील के 19 साल से कम युवाओं में हत्या क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है करने की दर 346 प्रतिशत बढ़ गई है.
रियो दे जेनेरियो से 20 किलोमीटर की दूरी पर फावेला अकारी नाम की झोपड़ पट्टी है. यहां की आबादी करीब 50 हजार है. इससे गुजरते हुए आप ये देखे बिना नहीं रह सकते कि ड्रग तस्करी ने किस तरह झोपड़पट्टी के लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है. असॉल्ट राइफल लिए जवान झोपड़पट्टी की महत्वपूर्ण जगहों पर तैनात रहते हैं. उन्हे वॉकी टॉकी से संदेश दिया जाता है. दीवारों पर लिखा है टीसीपी (थर्ड प्योर कमांड). ये रियो दे जेनेरियो का तीसरा सबसे बड़ा ड्रग तस्कर गिरोह है.
ड्रग धंधा या मजबूरी
वेनदेर्ले दा कून्हा पिछले 37 साल से इसी झोपड़पट्टी में रह रहे हैं. उनका कहना है कि ड्रग का धंधा अकारी और दूसरे समुदायों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है. वो कहते हैं, "करीब 30 साल पहले यहां हालात दूसरे थे. लेकिन अब तो ड्रग तस्करी का धंधा लाखों डॉलर वाले उद्योग का रूप ले चुका है". बकौल कून्हा इस धंधे में ये नहीं देखा जाता कि कितनी जाने चली गईं. यहां कोई लंबी दूरी के फायदे के लिए नहीं आता. लोग इसमें इसीलिए शामिल होते हैं क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं होते.
इसी साल जनवरी में ब्राजील ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया और दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. लेकिन एक आंकड़ा और है जो खौफनाक है. लैटिन अमेरिका स्कूल ऑफ सोशल साइंस ने 91 देशों के युवाओं के बीच हत्या की प्रवृत्ति पर सर्वे कराया था. इसमें ब्राजील चौथे नंबर पर था. अल सल्वाडोर, वेनेज्वेला, त्रिदिनाद टोबेगो ही तीन देश हैं जहां युवाओं में ब्राजील से भी ज्यादा हत्या की प्रवृत्ति है.
ऐसा नहीं है कि कून्हा जैसे लोग समस्या से अनजान हैं. उन्हे पता है कि क्या हो रहा है. वो कहते हैं, "युवाओं की हत्या ड्रग तस्करी से जुड़ी है. लोग गैंगवार में मारे जाते हैं. पुलिस और ड्रग माफिया की लड़ाई में भी जानें जाती हैं. सबसे बड़ी बात है कि जेल के अंदर भी बहुत सी मौतें होती हैं." उनका कहना है कि मौत के असली आंकड़े तो और भी भयावह हैं. ज्यादातर मरने वाले गरीब और कमजोर हैं इसलिए उनकी मौत को दर्ज ही नहीं किया जाता.
पुलिस भी मारती है
कून्हा का कहना सही भी है. अध्ययन में सामने आया है कि ब्राजील में पिछले 30 साल से जारी हत्या में लोग न केवल विरोधी गैंग के साथ लड़ाई में मारे जाते हैं बल्कि पुलिस के साथ फायरिंग में भी बहुत लोगों की जान जाती है. एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों ने रियो दे जेनेरियो पुलिस की मानवाधिकार हनन के लिए कई बार आलोचना भी की है. हाल ही में शहर में 1993 में हुए एक हत्याकांड की बरसी मनाई गई थी. जिसमें पुलिस ने 11 से 20 साल के बच्चों पर गोलीबारी की थी. इसमें 8 बच्चों की जान चली गई थी.
वेस्ले डेलरियोब्लाक पेशे से पत्रकार हैं. वो फावेला अकारी में रह रहे हैं. उनका कहना है कि इलाके में हो रही हिंसा ने उन्हे सीधे तौर पर प्रभावित किया है. उनके दो भाई गोलीबारी में मारे गए. एक पुलिस की गोलियों से मारा गया जबकि दूसरा सुरक्षा दस्ते का शिकार हो गया. वो बताते हैं कि इलाके के अमीर लोग निजी सुरक्षा कर्मियों का दस्ता तैयार रखते हैं. इन लोगों की जिम्मेदारी ये सुनिश्चित करना है कि लोग कहीं चोरी न करे. उनके दूसरे भाई की हत्या इसी निजी सुरक्षा दस्ते के हाथों हुई थी.
अमीरी गरीबी में फर्क
ब्राजील बेशक तेज गति से आर्थिक विकास कर रहा है लेकिन इसके बावजूद गरीबों और अमीरों में फर्क बढ़ता जा रहा है. जी-20 के सभी देशों में इस मामले में ब्राजील दूसरे नंबर है. अमीरी गरीबी के फर्क के मामले में ब्राजील से आगे दक्षिण अफ्रीका ही है.
यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 27/09 और कोड 5466 हमें भेज दीजिए ईमेल के जरिए [email protected] पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: Fotolia/Yuri Arcurs
फ्रांसेलिने कारडासो नाम के सामाजिक कार्यकर्ता झोपड़पट्टी में सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाते हैं. उनका कहना है कि विकास और अपराध के बीच सीधा संबंध है. वो बताते हैं कि ब्राजील का निर्माण ही हिंसा के आधार पर हुआ है. सबसे पहले यहां के मूल निवासियों की हत्या की गई फिर अटलांटिक महासागर के पार के देशों के साथ दासों का व्यापार शुरु हुआ. आजकल गैर बराबरी और हिंसा का सहारा लेकर जनता को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है. मापा दो वायलेंसिया स्टडी, के लेखक का कहना है कि ब्राजील में हिंसा को सामान्य माना जाने लगा है.
कून्हा कहते हैं, "मीडिया और सरकार की नीतियों ने मिलकर ऐसा माहौल बना दिया है जिससे लगता है कि जो गरीब लड़का ड्रग के धंधे में लगा है वो या तो आतंकवादी है या फिर देश का दुश्मन है."
रियो की झोपड़पट्टी में रहने वाले युवाओं में से कुछ पुलिस की गोली से मारे जाते है. कुछ का जीवन सलाखों के पीछे बीतता है. कुछ विरोधी गैंग के साथ लड़ाई में मारे जाते हैं. ब्राजील के सभी लोगों को इसके आर्थिक विकास का फायदा मिलना क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है बाकी है.
AAP को अब सिसोदिया की गिरफ्तारी का डर, CBI के बुलाने पर केजरीवाल ने जताई आशंका, भगत सिंह से की तुलना
इस मामले पर आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है को सीबीआई ने कल पूछताछ के लिए तलब किया है। मैं यह विश्वास और जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि हम सभी निश्चित हैं कि उन्हें बीजेपी के इशारे पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई द्वारा तलब किये जाने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनकी गिरफ्तारी की आशंका जताई है। साथ ही केजरीवाल ने उनकी तुलना स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह से करते हुए इसे आजादी की दूसरी लड़ाई करार दिया है। सीएम केजरीवाल ने सीबीआई के समन के बारे में सिसोदिया के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा कि जेल की सलाखों और फांसी की धमकी भगत सिंह की भावना को कभी नहीं रोक सकी। यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन हैं आज के भगत सिंह।
सीबीआई ने आबकारी नीति घोटाला मामले में पूछताछ के लिए सिसोदिया को सोमवार सुबह 11 बजे अपने मुख्यालय में तलब किया है। केजरीवाल ने ट्वीट में आगे कहा कि 75 साल बाद एक शिक्षा मंत्री ऐसा आया जो बेहतर शिक्षा से गरीबों को उम्मीद दे रहा है। करोड़ों लोगों की दुआएं आपके साथ हैं।
इस बीच, एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने कल पूछताछ के लिए तलब किया है। मैं यह विश्वास और जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि हम सभी निश्चित हैं कि उन्हें बीजेपी के इशारे पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, 'सीबीआई ने कल मनीष सिसोदिया को तलब किया है। यह पूरी साजिश पूर्व नियोजित और सुनियोजित है। सीबीआई के समन का आबकारी से कोई लेना-देना नहीं है, वह उन्हें अपने कार्यालय में बुलाएंगे और गिरफ्तार करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई-ईडी ने अब तक देश भर में 500 स्थानों पर छापेमारी की है। उन्हें सबूत का एक भी कतरा नहीं मिला है।'
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई सिसोदिया को गुजरात में उनके निर्धारित महीने भर के कार्यक्रमों को रोकने के लिए गिरफ्तार करेगी। लेकिन मैं बीजेपी को स्पष्ट करना चाहता हूं कि 'आप' आपकी रणनीति से बेपरवाह आपके सामने खड़ी है।
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia