सिग्नल कैसे काम करते हैं

5G रखने से बैटरी बहुत कम हो जाती है क्योंकि यह लगातार 5G सिग्नल की तलाश में रहती है, भले ही कुछ क्षेत्रों में कमजोर सिंगल हो। ‘5G Auto’ सुविधा का उपयोग करते समय, आपको लगातार 5G बार खोजने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल अच्छी सिग्नल शक्ति के मामले में 5G को सक्षम करेगा और कमजोर 5G कनेक्शन के मामले में 4G पर वापस स्विच करेगा।
स्मार्टफोन पर 5G सर्विस क्यों नहीं मिल रही…
भारत में 4G की शुरुआत हुई थी, तब किसी ने इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा था। लोगों ने अपने फोन का उपयोग करना जारी रखा, जबकि नेटवर्क तेजी से 4G (LTE) नेटवर्क से जुड़ा हुआ था और धीरे-धीरे वॉयस-ओनली 3G नेटवर्क से दूर हुआ। लेकिन अब, रिलायंस जिओ और भारतीय एयरटेल द्वारा 5G नेटवर्क ताबड़तोड़ मार्केटिंग के बावजूद, तकनीक-प्रेमी भी सोच रहे हैं कि अपने 5G-सक्षम फोन पर 5G कैसे शुरू करें।
5G फोन को सॉफ्टवेयर अपडेट की जरूरत
बता दें कि जब तक फ़ोन ब्रांड आपको एक सॉफ़्टवेयर अपडेट नहीं भेजता, तब तक आपको अपने फ़ोन पर 5G सिग्नल देखने को नहीं मिलेगा, भले ही आपने पास ‘5G इनेबल’ फ़ोन क्यों न हो। इसका कारण यह है कि स्मार्टफ़ोन को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि वह लगातार हाई नेटवर्क सिग्नल की खोज करता रहे।
‘5G रेडी’ फोन में 5G नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए हार्डवेयर होता है, लेकिन जब उन्हें भारत भेजा जाता है, तो ब्रांड इन फोन को 5G नेटवर्क से कनेक्ट होने से रोकने और उनकी बैटरी खत्म करने के लिए एक ‘सॉफ्ट लॉक’ का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि कई फ़ोन निर्माताओं ने समय सीमा बताई है जिसके भीतर आपको एक सॉफ़्टवेयर अपडेट मिलेगा जो आपके फ़ोन पर 5G कनेक्शन को सक्षम कर देगा। एप्पल और सैमसंग ने अपडेट का वादा किया है जो दिसंबर तक भारतीय उपकरणों सिग्नल कैसे काम करते हैं पर 5G को सक्षम कर देगा। इसके लिए अपने फोन के ‘सॉफ्टवेयर अपडेट’ सेक्शन को नियमित रूप से चेक करते रहें।
पॉलीग्राफ (Polygraph) टेस्ट क्या होता है
पॉलीग्राफ एक मशीन है जिसका प्रयोग झूठ पकड़ने के लिए होता है। ज्यादातर इसका उयपोग किसी अपराधी से सच सिग्नल कैसे काम करते हैं बोलवाने के लिए किया जाता है । पॉलीग्राफ टेस्ट मशीन का नाम झूठ पकड़ने वाली मशीन और लाई डिटेक्टर भी कहते है। जॉन अगस्तस लार्सन ने इसकी खोज 1921 ई में की थी ।
भारत में प्रोलिग्राफ (Polygraph) परीक्षण का प्रयोग किसी के ऊपर करने से पहले कोर्ट से अनुमति प्राप्त करना जरूरी है। देश में इसका सफल प्रयोग कई लोगों पर किया जा चुका है। परन्तु कुछ व्यक्ति इससे भी चालाकी करने में कामयाब हुए है। पॉलिग्राफ टेस्ट से यह भी पता लग जाता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच बोल रहा है, इस तरह की कई चीजों को परखा जाता है। जैसे व्यक्ति कि हर्ट रेट ब्लड प्रेसर आदि से अनुमान लगाया जाता है | यदि आप भी पॉलीग्राफ (Polygraph) टेस्ट क्या होता है , पॉलीग्राफ परीक्षण की जानकारी के बारे में जानना चाहते है तो यहाँ पर इसके विषय में बताया जा रहा है |
पॉलीग्राफ (Polygraph) परीक्षण के समय
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यदि इस पॉलीग्राफ परीक्षण के दौरान व्यक्ति झूठ बोलता है तो हर्ट रेट और ब्लड प्रेसर जैसे तत्वों के अंदर बदलाव देखने को मिलता है। जिसके आधार पर तय हो जाता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या फिर झूठ बोल रहा। इसके अलावा एड्रेनालाईन हार्मोन की कारण भी पता लग जाता है, क्योंकि व्यक्ति की बॉडी के अंदर बदलाव आते हैं।
पॉलीग्राफ (Polygraph) टेस्ट का इतिहास
पॉलीग्राफ टेस्ट के विषय मे जानकारी सर्वप्रथम 1730 ब्रिटिस उपन्यासकार डैनियलडिफो ने एक निबंध लिखा था जिसका शिर्षक था “An Effectual Scheme for the Immediate Preventing of Street Robberies and suppressing all Other Disorders of the Night,” जिसमें पॉलीग्राफ (Polygraph) के बारे बताया गया था । इसके बाद 1878 में, इतालवी फिजियोलॉजिस्ट एंजेलो मोसो ने भी कुछ इससे सिग्नल कैसे काम करते हैं मिलता जुलता एक ऐसा ही यंत्र का प्रयोग किया था । फिर 1921 के में जॉन लार्सन ने इसमे श्वसन दर को मेजर करना भी जोड़ दिया था । इसके पूर्व 1895 में, लोमब्रोसो, ने इसमें ब्लड प्रेसर नापने की इकाई को भी शामिल किया |
पॉलीग्राफ (Polygraph) टेस्ट के समय झूठ का पता लगाने के लिए मशीन को व्यक्ति की बॉडी से जोड़ दिया जाता है। फिर उसके हर्ट रेट ब्लर्ड प्रेसर और दिमाग सिग्नल पर फोकस किया जाता है। फिर परीक्षण में एक प्रश्नकर्ता उस व्यक्ति से कुछ पहले कुछ सामान्य प्रश्न पूछता है फिर उसके बाद विषय से संबंधित प्रश्नों को पूंछता है। इस प्रक्रिया के दौरान यदि व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसके दिमाग से एक सिग्नल P300 (P3) निकलता है। और उसके हर्ट रेट व ब्लर्ड प्रेसर बढ़ जाता है। जिसे कम्प्यूटर में सेव यानि कि फीड कर लिया जाता है अर्थात मेजर कर लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि व्यक्ति अपराधी नहीं है और फिर भी वह अपराध के विषय मे कुछ जानता है तो ऐसी परिस्थिति में भी उसके दिमाग से विशेष सिग्नल निकलेगा । जिससे प्रश्न कर्ता समझ जाएगा कि वह कुछ इसके बारे में जानता है। लेकिन यदि व्यक्ति को अपराध के बारे मे कुछ नहीं पता है तो उसके दिमाग से विशेष प्रकार का सिग्नल नहीं निकलेगा ।
पॉलीग्राफ टेस्ट के मेजर पॉइंट
- सांस की गति |
- ब्लड प्रेसर |
- व्यक्ति का पल्स | से निकलने वाले पसीने को |
- व हाथ पैरों की मूमेंट को |
- यौन दुर्व्यवहार, गलत ग्राहक बनने के खिलाफ, या फिर असंज्ञेय अपराधों सिग्नल कैसे काम करते हैं में |
- नशीली दवाओं के प्रयोग के समय |
- गलत तरीके से बर्खास्तगी जैसे मामलों में
- निजी अन्वेषक (Private Investigator) में सिग्नल कैसे काम करते हैं भी करते है |
- किसी विशेष मामलें में वकील के अनुरोध पर |
- कभी – कभी रिश्तेदारी के मुद्दे में भी प्रयोग देखा गया है |
- बीमा धोखाधड़ी के आदि मामलों में भी इसका प्रयोग किया जा चुका है |
यहाँ आपको पॉलीग्राफ (POLYGRAPH) टेस्ट के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करके अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही उत्तर दिया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |
सिग्नल कैसे काम करते हैं
भारत में अक्टूबर में 5G नेटवर्क (5G network) को लॉन्च किया गया था। इसके लॉन्च के साथ ही टेलीकॉम ऑपरेटर्स (telecom operators) के साथ स्मार्टफोन (smart Phone) निर्माताओं में भी हलचल मच गई। जब भारत में 4G की शुरुआत हुई थी, तब किसी ने इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा था। लोगों ने अपने फोन का उपयोग करना जारी रखा, जबकि नेटवर्क तेजी से 4G (LTE) नेटवर्क से जुड़ा हुआ था और धीरे-धीरे वॉयस-ओनली 3G नेटवर्क से दूर हुआ। लेकिन अब, Reliance Jio और Bharti Airtel द्वारा 5G नेटवर्क ताबड़तोड़ मार्केटिंग के बावजूद भी तकनीक-प्रेमी सोच रहे हैं कि अपने 5G फोन पर 5G शुरू कैसे करें। \
5G फोन को सॉफ्टवेयर अपडेट की जरूरत
बता दें कि जब तक फ़ोन ब्रांड आपको एक सॉफ़्टवेयर अपडेट नहीं भेजता, तब तक आपको अपने फ़ोन पर 5G सिग्नल देखने को नहीं मिलेगा, भले ही आपने पास '5G इनेबल' फोन क्यों न हो। इसका कारण यह है कि स्मार्टफोन को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि वह लगातार हाई नेटवर्क सिग्नल की खोज करता रहे। यही कारण है कि जब आप सिग्नल कैसे काम करते हैं लगातार खराब नेटवर्क एरिया में रहते हैं तो आपके फोन की बैटरी तेजी से खत्म होती है।
'5G रेडी' फोन में 5G नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए हार्डवेयर होता है, लेकिन जब उन्हें भारत भेजा जाता है, तो ब्रांड इन फोन को 5G नेटवर्क से कनेक्ट होने से रोकने और उनकी बैटरी खत्म करने के लिए एक 'सॉफ्ट लॉक' का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि कई फ़ोन निर्माताओं ने समय सीमा बताई है जिसके भीतर आपको एक सॉफ़्टवेयर अपडेट मिलेगा जो आपके फ़ोन पर 5G कनेक्शन को सक्षम कर देगा। Apple और Samsung ने अपडेट का वादा किया है जो दिसंबर तक भारतीय उपकरणों पर 5G को सक्षम कर देगा। इसके लिए अपने फोन के 'सॉफ्टवेयर अपडेट' सेक्शन को नियमित रूप से चेक करते रहें।
अपनी नेटवर्क सेटिंग की करें जांच
आमतौर पर, हर स्मार्टफोन आपको सबसे तेज कनेक्टिविटी स्पीड देने के लिए अपने फर्मवेयर पर उपलब्ध हाई नेटवर्क क्वालिटी को चुनता है। इसलिए आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आपने अपने फोन पर सही मोबाइल डाटा नेटवर्क का चयन किया है। इसके लिए अपने फोन की नेटवर्क सेटिंग में जाएं और मोबाइल डाटा चुनें। अगर आपके फ़ोन में 5G नेटवर्क तक पहुंचने के लिए आवश्यक फ़र्मवेयर है, तो मोबाइल डाटा सेटिंग के अंतर्गत एक '5G/LTE' या समान लेबल होगा, इसको चेक करें। ये एक 'ऑटो कनेक्ट' आमतौर पर आपको सभी नेटवर्क (3G/4G/5G) के लिए कवरेज देता है।
नहीं चाहिए नया सिम
5G को 4G के मौजूदा कोर फ्रेमवर्क पर बनाया गया है। नतीजतन, आपको 5G सेवाओं को एक्सेस करने के लिए नए सिम की जरूरत नहीं है। आपका मौजूदा सिम 5G नेटवर्क के लिए कनेक्टिविटी देता रहेगा,जिसमें NSA भी शामिल है। बता दें कि सिग्नल कैसे काम करते हैं नॉन-स्टैंडअलोन (NSA) 5G नेटवर्क का प्रकार है जहां यूजर-ऐंड कनेक्टिविटी नोड को अपग्रेड किया जाता है न कि नेटवर्क के कोर को। जबकि स्टैंडअलोन (SA) 5G नेटवर्क को सैद्धांतिक रूप से नए सिम कार्ड की आवश्यकता बताई गई है, Jio, जो देश में SA 5G नेटवर्क का निर्माण कर रहा है, इसका कहना है कि यह मौजूदा सिम कार्ड काम करेंगे।
क्या आपके क्षेत्र में है 5G?
अगर आपके क्षेत्र में 5G नेटवर्क के उपलब्ध नहीं है तो आपको इसकी प्रतीक्षा करनी होगी। Jio और Airtel दोनों नेभारत के कई शहरों में 5G सेवाएं लॉन्च कर दी हैं और जल्द ही ये नेटवर्क देश के कोने- कोने में होगा। जब आपके नेटवर्क सर्कल में 5G उपलब्ध हो जाएगा, तो आपको इसकी सूचना मिल सकती है।
किडनी फेल होने के ये हैं 3 शुरुआती संकेत, 90 प्रतिशत लोग इन लक्षणों को करते हैं नजरअंदाज
Written by Atul Modi | Published : November 19, 2022 4:57 PM IST
किडनी फेल होने के शुरुआती संकेत या लक्षण - Early Signs Of Kidney Failure
Kidney Failure Symptoms: गुर्दे (किडनी) शरीर से दूषित तत्वों को अलग रखने का काम करते हैं। अगर आपकी किडनी ठीक से काम करना बंद कर दें, तो आप कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। जिसके चलते आगे चलकर डायलिसिस जरूरी हो सकती है। आपके गुर्दे ठीक तरह से काम कर रहे हैं यह ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट या जीएफआर से मापा जाता है। जो रक्त से दूषित तत्वों को हटाने की किडनी की क्षमता का पैमाना है। किडनी के काम करने के पांच चरण होते हैं। पहला चरण जो सामान्य या अच्छी तरह से काम करने वाले गुर्दों की ओर इशारा करता है, वहीं पांचवां चरण अंतिम स्टेज यानी किडनी फेल होना सिग्नल कैसे काम करते हैं बताता है। बीच के दूसरे से लेकर चौथे चरण तक जीएफआर में प्रतिशत में आ रही कमी दर्शाई जाती है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि किडनी के सामान्य तरह से काम करने की क्षमता में कमी के शुरुआती संकेत, पता नहीं चलते। इसका सबसे अच्छा तरीका है कि अपने स्वास्थ्य में आ रहे बदलावों पर नजर रखने के साथ कुछ अलग नजर आने पर चिकित्सक की सलाह लेना। ये तीन शुरुआती संकेत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि किडनी की काम करने की क्षमता (Early Signs of Kidney Failure) कम हो रही है।
चक्कर आना या थकान - Kidney Failure Symptoms Dizzy And Fatigue
गुर्दे कमजोर होने की पहली निशानी कमजोरी महसूस होना और खुद के स्वास्थ्य में गिरावट है। खून में दूषित तत्वों के जमा हो जाने की वजह से चक्कर आना या थकान महसूस हो सकती है। थकान से जुडी एक अन्य समस्या अनीमिया, को भी गुर्दे की समस्या से जोडकर देखा जा सकता है। अगर आप खुद को बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस कर रहे हैं, तो पैनिक होने की जरूरत नहीं है। ऐसा तनाव, अत्यधिक काम, या रोजमर्रा की मुश्किलों की वजह से भी हो सकता है। लेकिन अगर आप पर्याप्त आराम कर रहे हैं और इसके बावजूद खुद को तरोताजा की जगह पहले से ज्यादा थका हुआ महसूस करते हैं, विशेषकर अगर चक्कर आते हैं तो अपने चिकित्सक से मिलना न भूलिए। उन्हें अपने अनुभव के बारे में बताइए और उनसे खुद को किसी गुर्दा रोग विशेषज्ञ (नेफ्रोलॉजिस्ट) को रेफर करने के लिए कह सकते हैं ताकि कोई आशंका न रहे। Also Read - भारत में बनी नेजल वैक्सीन 'इनकोवैक' को Covid-19 बूस्टर डोज के रूप में मिली मंजूरी
बैटरी बचाने के लिए ‘5G Auto’ सिग्नल कैसे काम करते हैं को कैसे ऑन करें?
- अपने iPhone पर सेटिंग खोलें।
- मोबाइल डेटा पर टैप करें।
- मोबाइल डेटा विकल्प पर टैप करें।
- वॉयस सिग्नल कैसे काम करते हैं एंड डेटा टैब पर जाएं।
- एक बार जब आप वॉयस और डेटा टैब करते हैं, तो आपको 5जी ऑन, 5जी ऑटो, एलटीई या 4जी और 3जी (क्षेत्र के आधार पर) जैसे कई विकल्प दिखाई देंगे। Apple के अनुसार Tap 5G Auto स्मार्ट डेटा मोड है।
Apple का कहना है, ‘जब 5G स्पीड बेहतर अनुभव प्रदान नहीं करती है, तो आपका iPhone स्वचालित रूप से LTE सिग्नल कैसे काम करते हैं पर स्विच हो जाता है, जिससे बैटरी की बचत होती है।’
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