मौद्रिक नीति के घटक

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भारत की राजकोषीय नीति Question
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1.) निम्नलिखित में से कौन-सा स्त्रोत संघ सरकार का स्त्रोत नहीं है
[A] उत्पाद शुल्क
[B] आयकर
[C] व्यापार कर
[D] कार्पोरेट कर
Answer :- C
2.) केंद्र सरकार का गैर योजना व्यय का अंग नहीं है
[A] पतिरक्षा व्यय
[B] परिदान का भुगतान
[C] ब्याज भुगतान
[D] विज्ञान एवं तकनिकी विकास हेतु आवंटन
Answer :- D
वाणिज्यिक बैंकों का संचालन
6.) बजट’ एक लेख-पत्र है-
[A] सरकार की मौद्रिक नीति का
[B] सरकार की वाणिज्य नीति का
[C] सरकार की राजकोषीय नीति का
[D] सरकार की मुद्रा बचत नीति का
Answer :- C
7.) शून्य आधारित बजट का क्या अर्थ है
[A] असीमित घाटे की वित्त वयवस्था
[B] अनित्पादक व्यय की कटौती न करना
[C] नए कार्यक्रमों का मूल्यांकन न करना
[D] हर बार बिलकुल नए सिरे से बजट तैयार करना
Answer :- D
8.) शून्य आधारित तकनिकी किस देश की दें मानी जाती है
[A] सं. रा. अ.
[B] ब्रिटेन
[C] फ़्रांस
[D] भारत
Answer :- A
9.) भारत में शून्य आधारित बजट की किस वर्ष के वार्षिक बजट में अपनाया गया था
[A] 1986-87
[B] 1987-88
[C] 1988-89
[D] 1989-90
Answer :- B
मौद्रिक नीति के घटक
भारत एक विकासशील देश है जो 2030 तक मध्यम आय वाला देश बनने का इच्छुक है। संपदा सृजन और जन कल्याण हमारे दो प्रमुख लक्ष्य हैं। कांग्रेस का आर्थिक दर्शन एक खुली और उदार अर्थव्यवस्था, धन का सृजन, सतत् विकास, असमानताओं में कमी तथा सभी लोगों के कल्याण पर आधारित है। इस तरह की वृद्धि निजी क्षेत्र कार्य कुशल सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा सामाजिक सुरक्षा की प्रणाली को रेखांकित करके ही आयेगी।
हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी अत्यधिक नियमों में जकड़ी हुई है, संरचनात्मक समस्यायें बरकरार हैं। सरकारी नियंत्रण और नौकरशाही का हस्तक्षेप बहुत अधिक है। नियमों ने नियंत्रक का रूप ले रखा है। आर्थिक नीतियों में न्यायालयों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है। भाजपा सरकार ने सुधारों के पहिए को उल्टी दिशा में मोड़ दिया है। कांग्रेस इन विकृतियों में सुधार करने, उन्हें पूर्ववत् करने और एक खुली और उदार बाजार अर्थव्यवस्था बहाल करने का वादा करती है।
मौद्रिक नीति के घटक
मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाना वृहद आर्थिक नीति का केवल एक पहलू है। परंतु अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए और बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। विस्तार से बता रहे हैं नितिन देसाई
सरकार ने ऊर्जित पटेल को मौद्रिक नीति के घटक भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाकर सही चयन किया है। उनके पास इस पद के लिए उपयुक्त तमाम अनुभव और पेशेवर समझ है। उनकी छवि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति की है। हालांकि उन्हें परिस्थितियों पर नजर रखने वाले व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है। अब उनके पास मौद्रिक नीति ढांचा समझौता (एमपीएफए) लागू कराने की जिम्मेदारी भी है।
इस व्यवस्था के तहत मौद्रिक नीति का प्राथमिक लक्ष्य है कीमतों में स्थिरता कायम रखना जबकि इस दौरान वृद्घि दर को भी दृष्टिï में रखना। कीमतों में स्थिरता को मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाने की दृष्टिï से अहम माना जाता है। इसका आकलन खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मौद्रिक नीति के घटक के आधार पर किया जाता है। इसका निर्धारण केंद्र सरकार आरबीआई के मशविरे से करती है। फिलहाल मुद्रास्फीति की लक्षित दर 4 प्रतिशत मौद्रिक नीति के घटक है और इसके लिए 2 फीसदी का लचीलापन रखा गया है। आरबीआई को मौद्रिक नीति की परिचालन प्रक्रिया का प्रकाशन करना होता है। इसके अलावा मुद्रास्फीति के स्रोत का छमाही आकलन और 6-18 महीने आगे तक का पूर्वानुमान भी उसे पेश करना होता है। अगर मुद्रास्फीति की दर लगातार तीन तिमाहियों तक लचीलेपन के तय दायरे से बाहर रहती है तो आरबीआई को विफलता के कारणों पर एक रिपोर्ट पेश करनी मौद्रिक नीति के घटक होती है। इसके अलावा उपचारात्मक कदम उठाते हुए तय लक्ष्य हासिल करने की एक मियाद बतानी होती है। मौद्रिक नीति ढांचे का संचालन आरबीआई करेगा लेकिन दरों में कटौती इसका एक अहम घटक है जिसका निर्धारण छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति करेगी। इसकी अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करेंगे। इसमें आरबीआई और सरकार की समान भागीदारी रहेगी।
निम्नलिखित में से कौन भारत में मौद्रिक नीति का मुख्य घटक है ?
1. सार्वजनिक ऋण
2. नकद आरक्षित अनुपात
3. सांविधिक नकदी अनुपात
मौद्रिक नीति आरबीआई के लिए अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियंत्रित करने का एक तरीका है। इसलिए , ये ऋण नीतियां मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं और बदले में देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में सहायता करती हैं।
मौद्रिक नीति के दो घटक अर्थात् नकद आरक्षित अनुपात ( CLR) और सांविधिक नकदी अनुपात ( SLR) हैं। नकद आरक्षित अनुपात ( CRR) वाणिज्यिक बैंकों के पास जमा का एक हिस्सा है जो इन्हें आरबीआई को जमा करना होता है। सांविधिक नकदी अनुपात ( SLR) कुल जमा का प्रतिशत है जो वाणिज्यिक बैंकों को नकदी भंडार या सोने के रूप में अपने पास रखना होता है।
मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools) – Competitive Economics
“मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools)” is important topic for all competitive exams like CET, SSC CGL, RRB NTPC, UPSC etc. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Economics. Let’s start Economics topic: मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools).
मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools)
मौद्रिक नीति (Monetary Policy) मौद्रिक नीति के घटक क्या होती है?
मौद्रिक नीति वह साधन है जिससे किसी भी राष्ट्र का केंद्रीय बैंक विभिन्न उपकरणों जैसे:- कैश रिजर्व रेश्यो (CRR), वैधानिक तरलता अनुपात (SLR- Statutory liquidity ratio), बैंक दर, रेपो दर, रिवर्स रेपो दर आदि का उपयोग करके मुद्रा और ऋण की उपलब्धता पर नियंत्रण स्थापित करता है।
- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए मुद्रा पर उपयुक्त नियंत्रण रखना अति आवश्यक मौद्रिक नीति के घटक होता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति से अर्थव्यवस्था में मुद्रा के संकुचन एवं प्रसार को नियंत्रित करता है।
- भारत में मौद्रिक नीति को MPC (Monetary Policy Committee) द्वारा प्रत्येक 2 माह में बनाया जाता है।
- मौद्रिक नीति (Monetary Policy ) बनाने वाली इस MPC में 6 सदस्य होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता रिजर्व बैंक का गवर्नर करता है।
मौद्रिक नीति के उद्देश्य (Objectives of Monetary Policy):–
- वित्तीय/मूल्य स्थिरता:
- मूल्य स्थिरता का सामान्य अर्थ है- बाजार में उत्पादों के मूल्य में तेज गिरावट या बढ़ोतरी को रोकना।
- यदि किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा पर नियंत्रण न रखा जाये तो उस अर्थव्यवस्था में स्थिरता समाप्त हो जाएगी। उदाहरण के लिए यदि अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाए तो लोगों के पास क्रय शक्ति बढ़ जाएगी जिससे की उत्पादों के दाम बढ़ने लगेंगे और मुद्रास्फीति प्रभावित होगी।
- अतः मौद्रिक नीति से केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता बनाए रखता है।
- विनिमयन दर में स्थायित्व से अभिप्राय भारतीय मुद्रा की विदेशी मुद्रा से तुलनात्मक मूल्य से है।
- यदि विनिमयन दर पर नियंत्रण न रखा जाए तो भारतीय मुद्रा का मूल्य अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिर सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था दुष्प्रभावित होगी।