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दिन के कारोबार के लिए एक परिचय

दिन के कारोबार के लिए एक परिचय

पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भारत को गीदड़भभकी, बोले- जंग को तैयार

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के नवनियुक्त सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने शनिवार को कहा कि अगर उनके देश पर हमला होता है, तो पाकिस्तानी सशस्त्र बल ‘‘न सिर्फ अपनी मातृभूमि के एक-एक इंच की रक्षा करेंगे, बल्कि दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब भी देंगे।” मुनीर ने पाकिस्तान सेना के प्रमुख का पद संभालने के बाद शनिवार को पहली बार नियंत्रण रेखा (एलओसी) दिन के कारोबार के लिए एक परिचय का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने रखचिकरी सेक्टर में तैनात पाकिस्तानी सैनिकों से मुलाकात की।

मुनीर ने कहा, “हमने हाल में गिलगित बाल्टिस्तान और जम्मू-कश्मीर पर भारतीय नेतृत्व के अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना बयान सुने हैं। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अगर हम पर हमला होता है तो पाकिस्तान के सशस्त्र बल न केवल अपनी मातृभूमि के एक-एक इंच की रक्षा करने के लिए, बल्कि दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार हैं।”

जनरल मुनीर ने 24 नवंबर को जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह ली थी। बाजवा पाकिस्तान सेना प्रमुख के रूप में दो बार तीन-तीन साल का कार्यकाल संभालने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे। सीमावर्ती क्षेत्रों के दौरे के दौरान जनरल मुनीर को नियंत्रण रेखा के पास के ताजा हालात और पाकिस्तान सेना की अभियानगत तैयारियों से अवगत कराया गया।

जनरल मुनीर ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उच्च मनोबल और पेशेवर क्षमता का परिचय देते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए पाकिस्तानी सैनिकों और अधिकारियों की तारीफ की।

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Bihar: भागलपुर में ब्राउन सुगर कारोबार के विवाद में डबल मर्डर! दो दोस्तों को घर से बुलाकर मारी गोली

बरारी थाना क्षेत्र के हथिया नाले के पास दो युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. घर से बुलाकर हत्यारों ने गोली मारी. मृतक आपस में मित्र थे. वहीं इस पूरे मामले को नशे के कारोबार में लेनदेन के विवाद से जोड़कर भी देखा जा रहा है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

Bihar Crime News: भागलपुर में दो दोस्तों को घर से बुलाकर मारी गोली

Bhagalpur News: बरारी थाना क्षेत्र के मायागंज स्थित हथिया नाला के पास बने खड्ढे में रविवार देर शाम हुए डबल मर्डर के बाद पूरे शहर में सनसनी फैल गयी. दो युवकों को पहले घर बुलाया गया, जहां पहुंचने पर वहां पहले से मौजूद आधा दर्जन अपराधियों ने दोनों को गोली मार दी. मौके पर ही एक की मौत हो गयी. जबकि दूसरे को जीवित पाकर मायागंज अस्पताल भेजा गया. जहां कुछ देर बाद उसकी भी मौत हो गयी.

फॉरेंसिक टीम पहुंची

घटना की जानकारी मिलते ही बरारी थानाध्यक्ष ने दलबल के साथ पहुंचे. इस बात की सूचना मिलते ही सिटी एसपी स्वर्ण प्रभात और एएसपी सिटी शुभम आर्य भी मौके पर पहुंचे. घटनास्थल की जांच के लिये फॉरेंसिक (एफएसएल) टीम को बुलाया गया. घटनास्थल से ब्लड सैंपल सहित कट्टे और वहां मौजूद अन्य सामानों पर मिले फिंगर प्रिंट को कलेक्ट किया गया.

हिरासत में चार युवक

मामले में पुलिस को बरगांछ चौक निवासी अंकित कुमार और रिफ्यूजी कॉलोनी निवासी दीपक दास की तलाश है. मामले में पुलिस ने रविवार रात तक संदेह के आधार पर चार युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी थी.

भागलपुर में आग लगी कार को लोगों ने धकेल कर पहुंचा दिया थाने के अंदर, जान बचाकर भागे लोग

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मृतक युवकों का परिचय

मृतक सन्नी पासवान (25) संत नगर का रहने वाला था और पेशे से प्राइवेट ड्राइवर का काम करता था, कभी कभार वह अपने दादा की बोलेरो कार को भी भाड़ा पर चलाता था. वहीं दूसरा मृतक संत नगर रोड स्थित गंगानगर आवासीय कॉलोनी निवासी रोहित रजक (18) है, जिसने कुछ साल पहले ही पढ़ाई छोड़ दी थी और इधर उधर भटकता था.

घर से बुलाकर मारी गोली

रोहित के परिजनों ने बताया कि रविवार शाम करीब चार बजे रोहित का परिचित रिफ्यूजी कॉलोनी निवासी दीपक दास उसे अपने साथ बुला कर ले गया था. वहीं करीब साढ़े चार बजे उसने ही घर पर आकर दीपक दिन के कारोबार के लिए एक परिचय दिन के कारोबार के लिए एक परिचय को गोली मारे जाने की बात कही और वहां से फरार हो गया.

परिजनों ने विवाद के बारे में बताया

इधर सन्नी के परिजनों ने बताया कि सन्नी का काफी करीबी मित्र बरगाछ चौक निवासी अंकित के साथ ही घूमता था. परिजनों ने अंकित के भी घटना में शामिल होने की दिन के कारोबार के लिए एक परिचय आशंका जतायी. सन्नी के भाई शशि ने बताया कि सन्नी और रोहित साथ ही रहते थे और तीन-चार दिन पूर्व ही उन दोनों को मुस्तफापुर के रहने वाले कुछ युवकों के साथ विवाद हुआ था. जिन लोगों के साथ सन्नी और रोहित का विवाद हुआ था उनकी पैरवी विवाद के बाद से अंकित कर रहा था. मामले में पुलिस आपसी विवाद सहित ब्राउन शुगर और जुआ आदि के बिंदु से भी घटना को जोड़कर देख दिन के कारोबार के लिए एक परिचय रही है.

बोले सिटी एसपी

हत्या के कारणों के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है. जल्द ही मामले का उद्भेदन किया जायेगा.

- स्वर्ण प्रभात, सिटी एसपी, भागलपुर.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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श्रद्धा हत्याकांड: शादी के इनकार से बढ़ती चली गई तकरार, नहीं मानी आफताब की बात तो हो गई हत्या

पुलिस जांच में सामने आया कि आफताब शादी नहीं करना चाहता था जबकि श्रद्धा लगातार इस पर दबाव बना रही थी। हालांकि तीन मई को दोनों में विवाद होने के बाद आफताब अलग-अलग रहने के लिए राजी हो गया था।

श्रद्धा हत्याकांड: शादी के इनकार से बढ़ती चली गई तकरार, नहीं मानी आफताब की बात तो हो गई हत्या

श्रद्धा हत्याकांड में नया खुलासा हुआ है। आफताब के शादी नहीं करने पर श्रद्धा नाराज थी और वह उससे अलग होना चाहती थी। वहीं आफताब इसकी वजह से ही नाराज था। जांच में सामने आया है कि आफताब की बात नहीं मानने पर उसने श्रद्धा की हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में सामने आया कि दिन के कारोबार के लिए एक परिचय आफताब शादी नहीं करना चाहता था जबकि श्रद्धा लगातार इस पर दबाव बना रही थी। हालांकि तीन मई को दोनों में विवाद होने के बाद आफताब अलग-अलग रहने के लिए राजी हो गया था। लेकिन फिर उसने श्रद्धा को घूमने के लिए सहमत कर लिया। इसके बाद 18 मई को श्रद्धा ने शादी करने या अलग रहने की बात की तो विवाद बढ़ गया। आफताब ने बताया कि उसे लगता था कि श्रद्धा के जीवन में कोई दूसरा शख्स आ गया है। इसकी वजह से गांजे के नशे में धुत आफताब ने उसकी हत्या कर दी।

खून के धब्बे, टेक्निकल सर्विलांस अहम सबूत
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ अहम सबूत मिले हैं जो हत्या को साबित करते हैं। इसके लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी हैं। आफताब के फ्लैट के बाथरूम, बेडरूम और किचन इन तीन जगह रक्त के धब्बे मिले हैं, जिन्हें एफएसएल ने जांच के लिए ले लिया है। इसके अलावा 18 मई को आफताब और श्रद्धा के फोन की लोकेशन एक जगह पाई गई। वहीं दोनों ऑनलाइन भोजन मंगाते थे। इस बात के सबूत विभिन्न फूड डिलीवरी ऐप के माध्यम से मिले हैं। लेकिन 18 मई के बाद सिर्फ एक ही व्यक्ति का भोजन ऑनलाइन मंगाया जाने लगा। आफताब ने बताया था कि 22 अक्तूबर को श्रद्धा घर छोड़कर चली गई थी, लेकिन उसका फोन लगातार इसी इलाके में सक्रिय था। इन सबको पुलिस अहम सबूत मान रही है।

लैब में भेजे गए दोनों के कपड़े
पुलिस को श्रद्धा और आफताब के कपड़े मिले हैं। माना जा रहा है कि वारदात के वक्त यही कपड़े दोनों ने पहने थे। फिलहाल जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब में इन्हें भेजा गया है। वहीं पुलिस ने कुल 13 हड्डियां अभी तक बरामद की हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि महरौली पुलिस ने बद्री से भी पूछताछ की। लेकिन उसकी भूमिका संदिग्ध नहीं पाई गई। वह जगह बताने के बाद इनसे दूर चला गया था।

मुंबई पुलिस की पूछताछ पर सतर्क हो गया था
मुंबई पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए बुलाने पर आफताब सबूत मिटाने में जुट गया था। दरअसल, श्रद्धा के पिता ने 12 अक्तूबर को मानिक नगर थाने में शिकायत दी थी। पुलिस ने 20 अक्तूबर को आफताब को फोन कर पूछताछ के लिए बुलाया था। जांच में सामने आया कि श्रद्धा का फोन 20 अक्तूबर से 23 अक्तूबर तक सक्रिय था। फिर बंद हो गया। आफताब ने बताया कि उसने श्रद्धा के मोबाइल को समुद्र में फेंककर सिम को दिल्ली में तोड़कर फेंक दिया था। अब पुलिस श्रद्धा के व्हाट्सऐप को सक्रिय कर मैसेज पढ़ने की कोशिश कर रही है।

टीवी देखकर हत्या की योजना बनाई
आफताब की जेल वैन पर सोमवार शाम को हमला करने की योजना बदमाशों ने सुबह टीवी पर देखकर बनाई थी। वहीं, पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों हमलावरों को कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि कुलदीप और निगम गुर्जर दोनों अपने तीन अन्य साथियों के साथ गुरुग्राम से रोहिणी आए थे। पूछताछ में कुलदीप ने बताया कि उन्हें समाचार से मालूम हुआ था कि आफताब को रोहिणी एफएसएल लाया जा रहा है और टीवी पर देखा कि सोमवार सुबह भी वह आएगा। इसके बाद इन्होंने योजना बनाई। कुलदीप अपनी कार में सभी को लेकर एफएसएल के गेट पर पहुंच गया था। वहीं, हमले में शामिल तीन अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। इसके लिए वीडियो फुटेज का सहारा लिया जा रहा है। वारदात में शामिल तलवार और कार को जब्त कर लिया गया।

थर्ड बटालियन के जवानों को पुरस्कृत किया
पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने आफताब की सुरक्षा में लगे थर्ड बटालियन के जवानों को मंगलवार को पुरस्कृत किया। थर्ड बटालियन के डीसीपी ढल सिंह पाटले ने बताया कि पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने दोपहर में ऑफिस का दौरा किया। उन्होंने घटना के वक्त सूझबूझ और बहादुरी का परिचय देने के लिए जवानों की प्रशंसा की। उन्होंने दो एसआई को दस-दस हजार और तीन अन्य पुलिसकर्मियों को पांच-पांच हजार रुपये देकर पुरस्कृत किया।

100 फुटा रोड बंद किया, घंटों जाम से जूझे लोग
महापंचायत के कारण दिल्ली पुलिस ने मंगलवार दोपहर को छतरपुर की मुख्य सड़क (100 फुटा रोड) को एक तरफ से वाहनों के लिए बंद कर दिया। इस कारण इलाके में लंबा जाम लग गया। घंटों तक लोग सड़क पर फंसे रहे। स्कूल की छुट्टी का समय होने की वजह से आफत दोगुनी हो गई। स्कूल वैन में बच्चे भी सड़क पर ही फंसे रहे। कई लोग बसों और ऑटो से उतरकर पैदल ही मेट्रो स्टेशन की तरफ जाते दिखे।

जाति आधारित रैलियों पर रोक लगाने को चार दलों और चुनाव आयुक्‍त को नया नोटिस जारी

11 जुलाई 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों के आयोजन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. पीठ ने इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए चार प्रमुख दलों- भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा को नोटिस जारी किया था, लेकिन नौ साल बाद भी न तो किसी दल ने और न ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने अदालत में कोई जवाब दाख़िल किया है. The post जाति आधारित रैलियों पर रोक लगाने को चार दलों और चुनाव आयुक्‍त को नया नोटिस जारी appeared first on The Wire - Hindi.

11 जुलाई 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों के आयोजन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. पीठ ने इस दिन के कारोबार के लिए एक परिचय पर प्रतिक्रिया देने के लिए चार प्रमुख दलों- भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा को नोटिस जारी किया था, लेकिन नौ साल बाद भी न तो किसी दिन के कारोबार के लिए एक परिचय दल ने और न ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने अदालत में कोई जवाब दाख़िल किया है.

भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के चिह्न. (फोटो साभार फेसबुक/ट्विटर)

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जाति आधारित रैलियों पर सदा के लिए रोक लगाने की मांग पर चार प्रमुख राजनीतिक दलों- भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को ताजा नोटिस जारी किया है .

इसके साथ ही अदालत ने मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त को भी नोटिस देकर जवाब मांगा है कि ऐसी रैलियों पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.

पीठ ने नोटिस में जवाब मांगा है कि राज्य में जाति आधारित रैलियों पर ‘हमेशा के लिए पूर्ण प्रतिबंध’ क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए और अगर ऐसा किया जाता है, तो चुनाव आयोग को उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए.

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 15 दिसंबर तय की है.

हाईकोर्ट ने 2013 में ही अंतरिम आदेश जारी करते हुए जाति आधारित रैलियों पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

हाईकोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश राजेश बिंदल और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने स्थानीय अधिवक्‍ता मोतीलाल यादव द्वारा वर्ष 2013 में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.दिन के कारोबार के लिए एक परिचय

याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर रोक लगाने की मांग की थी. 11 जुलाई 2013 को मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों के आयोजन पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

पीठ ने मामले में अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए यहां के प्रमुख राजनीतिक दलों- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी नोटिस जारी किया था. नौ साल बाद भी किसी राजनीतिक दल ने अदालत में अपना जवाब पेश नहीं किया और न ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने कोई जवाब दिया.

इस पर चिंता जताते हुए पीठ ने राजनीतिक दलों और मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त को 15 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए ताजा नोटिस जारी किया है.

अदालत ने 2013 में पारित अपने आदेश में कहा था कि जाति प्रथा समाज को विभाजित करता है और इससे भेदभाव उत्पन्न होता है.

अदालत ने कहा था कि जाति आधारित रैलियों की अनुमति देना संविधान की भावना, मौलिक अधिकारों व दायित्वों का उल्लंघन है.

याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि बहुसंख्यक समूहों के वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों की ऐसी अलोकतांत्रिक गतिविधियों के कारण देश में जातीय अल्पसंख्यकों को अपने आप में दूसरे दर्जे के नागरिकों की श्रेणी में ला दिया गया है.

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘स्पष्ट संवैधानिक प्रावधानों और उसमें निहित मौलिक अधिकारों के बावजूद, वे वोट की राजनीति के नंबर गेम में नुकसानदेह स्थिति में रखे जाने के कारण मोहभंग, निराश और विश्वासघात महसूस कर रहे हैं.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 2013 में पारित अपने आदेश में जस्टिस उमानाथ सिंह और जस्टिस महेंद्र दयाल की पीठ ने कहा था, ‘जाति-आधारित रैलियां आयोजित करने की अप्रतिबंधित स्वतंत्रता, जो पूरी तरह से नापसंद, आधुनिक पीढ़ी की समझ से परे और जनहित के विपरीत भी है, को उचित नहीं दिन के कारोबार के लिए एक परिचय ठहराया जा सकता, बल्कि यह कानून के शासन को नकारने और नागरिकों को मौलिक अधिकारों से वंचित करने का कार्य होगा.’

पीठ ने तब यह भी कहा था, ‘राजनीतिकरण के माध्यम से जाति व्यवस्था में राजनीतिक आधार प्राप्त करने के अपने प्रयास में, ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक दलों ने सामाजिक ताने-बाने और सामंजस्य को गंभीर रूप से बिगाड़ दिया है. इसके परिणामस्वरूप सामाजिक विखंडन हुआ है.’

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि बहुसंख्यक समूहों के वोटों को लुभाने के लिए डिजाइन की गई राजनीतिक दलों की ऐसी अलोकतांत्रिक गतिविधियों के कारण देश में जातीय अल्पसंख्यक अपने ही देश में द्वितीय श्रेणी के नागरिकों की श्रेणी में सीमित कर दिए गए.

याचिकाकर्ता ने आगे कहा था, ‘स्पष्ट संवैधानिक प्रावधानों और उसमें निहित मौलिक अधिकारों के बावजूद, वे वोट की राजनीति के नंबर गेम में नुकसानदेह स्थिति में रखे जाने के कारण मोहभंग, निराश और विश्वासघात महसूस कर रहे हैं.’

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