निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह

यह शेयर 360 रुपये के भाव से ऊपर बंद होगा तब निवेशकों का इसमें भरोसा बनेगा : शोमेश कुमार की सलाह
अडानी पावर (Adani Power) में लंबी अवधि के निवेश के लिए सुझाव दें। क्या बेहतर रहेगा?
बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार: अडानी पावर के शेयर ने हाल ही में 50 डीएमए से बाहर निकलने की कोशिश की थी मगर निकल नहीं पाया है। इसलिये जब तक यह बाहर नहीं निकलता, तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसमें 314 के भाव पर 38% रिट्रेसमेंट है और वहीं पर इसका पिछला निचला स्तर भी बना था। इसे यह तोड़ नहीं पा रहा है, अगर यह तोड़ लेता है तो 400 रुपये के पार निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह जा सकता है। एक बात और है, यह शेयर जब 360 रुपये के स्तर के ऊपर जाकर बंद होगा तब इसमें निवेशकों का कुछ भरोसा बनेगा। इससे पहले कुछ कहा नहीं जा सकता है।
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ये हैं निवेश के लिए 10 सबसे अच्छे म्यूचुअल फंड
हमने पांच अलग-अलग कैटेगरी से दो स्कीमों को चुना. इन कैटेगरी में एग्रेसिव हाइब्रिड, लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और मल्टीकैप शामिल हैं.
यह भी मुमकिन है कि जिन स्कीमों के नाम बताए जाएं, वे लक्ष्यों और जोखिम प्रोफाइल के अनुकूल न हों. यही देखते हुए हमने टॉप 10 म्यूचुअल फंड स्कीमों की एक लिस्ट बनाई है. इसमें पांच अलग-अलग कैटेगरी से दो स्कीमों को चुना गया है. इन कैटेगरी में एग्रेसिव हाइब्रिड, लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और मल्टीकैप शामिल हैं. हमारा मानना है कि नियमित म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ये पर्याप्त होनी चाहिए.
टॉप 10 स्कीमों की लिस्ट
1. एक्सिस ब्लूचिप फंड
2. मिराए एसेट लार्जकैप फंड
3. पराग पारेख लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड
4. कोटक स्टैंडर्ड मल्टीकैप फंड
5. एक्सिस मिडकैप फंड
6. डीएसपी मिडकैप फंड
7. एक्सिस स्मॉलकैप फंड
8. एसबीआई स्मॉलकैप फंड
9. एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड फंड
10. मिराए एसेट हाइब्रिड इक्विटी फंड
हालांकि, इन स्कीमों में निवेश करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. पहली बात यह कि हर एक कैटेगरी के बारे में जानें और पता करें कि क्या वह आपके निवेश के लक्ष्य और जोखिम निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह प्रोफाइल से मेल खाती है.
एग्रेसिव हाइब्रिड स्कीमों के लिए अपनी कुल रकम का 65-80 फीसदी इक्विटी में निवेश करना जरूरी है. बाकी का 20-35 फीसदी उन्हें डेट में निवेश करना होता है. ये पूर्व की बैलेंस्ड या इक्विटी हाइब्रिड स्कीमों की तरह निवेश करती हैं. इक्विटी में कम से कम 65 फीसदी निवेश की सीमा के चलते इन पर इक्विटी स्कीमों की तरह टैक्स लगता है.
इसमें 'एग्रेसिव' शब्द से आपको भ्रमित नहीं होना चाहिए. कई निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह म्यूचुअल फंड एडवाइजर नए निवेशकों को एग्रेसिव हाइब्रिड स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह देते हैं. उनकी दलील होती निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह है कि इक्विटी और डेट का मिलाजुला पोर्टफोलियो उथल-पुथल के दौरान इन्हें स्थिरता देता है.
वहीं, लार्जकैप म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह स्कीमें बेहद बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं. सेबी के वर्गीकरण नियमों के अनुसार, लार्जकैप म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह स्कीमों के लिए निवेशकों से जुटाई गई रकम का कम से कम 80 फीसदी शीर्ष 100 कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. चूंकि ये स्कीमें अपेक्षाकृत कम अस्थिर होती हैं. इसलिए इनमें रिटर्न भी सामान्य होता है. ऐसे में लार्जकैप स्कीमों में निवेश करते हुए रिटर्न की अपेक्षाओं को वास्तविक रखने की जरूरत है.
मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमें मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करती हैं. इनमें बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है. बेशक इनके साथ जोखिम और अस्थिरता ज्यादा होती है. लेकन, इनसे अधिक रिटर्न की भी अपेक्षा की जा सकती है. एडवाइजर नए निवेशकों को मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों की सलाह नहीं देते हैं. न ही उन्हें इन स्कीमों में पैसा निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह लगाने को कहा जाता है जो अपने निवेश के साथ ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते हैं.
स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए अपनी कुल रकम का 80 फीसदी छोटी कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. शेयर बाजार में 250वें पायदान के नीचे आने वाली सभी कंपनियां इस श्रेणी में आती हैं. इनमें हमेशा सात से 10 साल की लंबी अवधि को ध्यान में रखकर ही निवेश करना चाहिए. छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं. इनके साथ बहुत ज्यादा जोखिम होता है. नए निवेशकों को इन स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है.
मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं. सेबी के नए नियमों के अनुसार, मल्टीकैप स्कीम को अपने कुल एसेट का कम से कम 75 फीसदी इक्विटी या इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना होगा. उनके लिए लार्ज, मिड और स्मॉलकैप शेयरों में न्यूनतम 25-25 फीसदी निवेश करना अनिवार्य किया गया है.
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बाजार में अनिश्चितता के बीच निवेश में लाएं विविधता, इस फॉर्मूले की मदद से पाएं बेहतर रिटर्न
सही एसेट एलोकेशन न केवल आपकी रकम पर जोखिम घटाता है साथ ही वो ऊंचे रिटर्न देने में भी मदद करता है. वहीं अनिश्चितता के माहौल में आपको जोखिम के प्रति सुरक्षा भी देता है.
शेयर बाजार में फिलहाल अनिश्चितता बनी हुई है वही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह में दबाव देखने को मिल रहा है. हालांकि अगर आप निवेश के सभी विकल्पों पर ध्यान दें तो आपको देखने को मिलेगा कि सभी निवेश विकल्प का रिटर्न एक दिशा में नहीं हैं. इस स्थिति में कुछ एसेट्स नुकसान दिखा रहें हैं तो कुछ में फायदा भी हो रहा है. निवेश विकल्पों की अलग अलग स्थितियों में अलग अलग चाल की वजह से निवेश की सलाह देने वाले एक्सपर्ट्स हमेशा पोर्टफोलियों में विविधता लाने की सलाह देते हैं. वे कहते हैं कि कभी भी अपना पूरा निवेश किसी एक एसेट में नहीं लगाना चाहिये. उनके मुताबिक निवेशकों को अपना पैसा इक्विटी से लेकर गोल्ड तक अपनी जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से लगाना चाहिये.
हालांकि सवाल उठता है कि कोई निवेशक किस आधार पर अपना पैसा इन सभी एसेट्स में लगाये जिससे उसका जोखिम तो कम से कम हो वहीं रिटर्न ज्यादा से ज्यादा मिले. एक्सिस बैंक ने अपने एक ब्लॉग के जरिये इस सवाल का जवाब दिया है. जिसमें बैंक ने एसेट, एसेट एलोकेशन और निवेश के फॉर्मूले की जानकारी दी निवेशकों के लिए कुछ सामान्य सलाह है. आप भी पढ़ें और समझें की कैसे अपनी रकम को सही तरह से निवेश किया जा सकता है.
एसेट एलोकेशन क्या होता है
एसेट एलोकेशन का मतलब होता है कि आपके निवेश की रकम का कितना हिस्सा किसी खास एसेट जैसे इक्विटी, गोल्ड, डेट, प्रॉपर्टी में लगाया गया है और कितना कैश शेष है जिसे आप जरूरत के वक्त इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर किसी खास एसेट में निवेश बढ़ा सकते हैं. एसेट एलोकेशन का अंतिम लक्ष्य आपके पैसे पर निवेश जोखिम को कम से कम करना होता और रिटर्न को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना होता है.
क्या है अलग अलग एसेट्स की खासियतें
एक्सिस बैंक के मुताबिक हर एसेट के साथ उसके अपने रिस्क और रिटर्न जुड़े होते हैं. जैसे इक्विटी में काफी ऊंची ग्रोथ और डिविडेंड आय मिल सकती है, और इसे जल्द कैश कराया जा सकता है. हालांकि इसमें जोखिम भी काफी अधिक होता है. स्टॉक और एमएफ के जरिये इसमें निवेश कर सकते हैं. वहीं गोल्ड और डेट ज्यादा सुरक्षित निवेश विकल्प होते हैं, हालांकि इनमें इक्विटी जितनी तेज कमाई नहीं होती और डेट में निवेश को जल्द कैश कराने से रिटर्न पर असर देखने को मिलता है. इन एसेट्स में निवेश के लिये स्टॉक्स, एफडी, म्यूचुअल फंड , ईटीएफ आदि के जरिये निवेश किया जा सकता है.
क्या है निवेश का फॉर्मूला
एक्सिस बैंक के मुताबिक एसेट एलोकेशन आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर आधारित होता है और जोखिम की क्षमता का सीधा मतलब कि आप इस निवेश को कितने समय तक के लिये छोड़ सकते हैं जिससे छोटे मोटे उतार- चढ़ाव के दौर में भी आपको कोई समस्या न हो. दूसरे शब्दों में निवेश के समय को लेकर आपका लक्ष्य क्या है. नीचे दिये गये फॉर्मूले के आधार पर आप एसेट एलोकेशन कर सकते हैं.
1 से 3 साल का समय
अगर आपको लगता है कि इस रकम की आवश्यकता एक से लेकर 3 साल में पड़ सकती है, जैसे शादी, बच्चों की पढ़ाई, या कोई बड़ा खर्च तो बेहतर है कि रकम का 95 प्रतिशत हिस्सा डेट में रखें और 5 प्रतिशत हिस्सा गोल्ड में निवेश करें, इक्विटी से दूर रहें. क्योंकि कई बार स्टॉक्स में तेज गिरावट के बाद उसे उबरने में सालों लग जाते हैं , भले ही वो रिकवरी की दौड़ लंबी अवधि में आपका पूरा नुकसान भर दे. लेकिन आपके पास उतना समय नहीं होता.
3 से 5 साल का समय
अगर आपको लगता है 3 साल से पहले आपको पैसों की जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन उसके बाद आपको पैसे निकालने पड़ सकते हैं तो अपनी रकम का 40 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में रखें, वहीं 50 प्रतिशत हिस्सा डेट में रखें और 10 प्रतिशत हिस्सा गोल्ड में रखें.
5 से 8 साल का समय
5 से 8 साल के समय के लिये बेहतर होगा कि आप इक्विटी में अपना निवेश बढ़ायें और 55 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में निवेश करें. डेट में 30 प्रतिशत और गोल्ड में 15 प्रतिशत का निवेश करें
8 साल से ज्यादा वक्त का समय
अगर आप अपने पैसे को 8 साल से ज्यादा वक्त के लिये बाजार में बढ़ने के लिये छोड़ सकते हैं तो आपको ज्यादा जोखिम उठाना चाहिये. दरअसल तेज उतार-चढ़ाव के बीच भी लंबी अवधि में बाजार में बेहद ऊंचे रिटर्न मिलना सामान्य है. बीते 10 साल में सेंसेक्स करीब तीन गुना बढ़ चुका है. इसके साथ ही 8 साल से अधिक वक्त के लिये गोल्ड का हिस्सा 15 प्रतिशत पर स्थिर रखें और शेष रकम डेट में लगा दें.
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वर्तमान में कंपनी , इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड नामक विशेष प्रयोजन माध्यम (सिफ्टी) के जरिए वित्तीय रूप से अर्थक्षम अवसंरचना परियोजनाओं की योजना के अनुरूप अवसंरचना परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।