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मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड

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बीओआई म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड निवेश दीर्घकालिक पूंजी प्रशंसा प्राप्त करने के लिए परिसंपत्तियों को विवेकपूर्ण ढंग से आवंटित करने में मदद करता है। म्यूचुअल फंड उत्पादों की बैंक की बिक्री को विभिन्न शाखाओं में और समर्पित रिलेशनशिप मैनेजरों के माध्यम से रणनीतिक रूप से रखे गए एएमएफआई / एनआईएसएम योग्य कर्मियों की पर्याप्त संख्या द्वारा म्यूचुअल फंड उत्पादों की बैंक की बिक्री को समर्थित किया जाता है।

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काम की खबर: बाजार के उतार-चढ़ाव में निवेश के तीन विकल्प, पढ़ें यह खास रिपोर्ट

इस साल ज्यादातर शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव रहा है। महंगाई रोकने के लिए दुनिया के तमाम केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। ऐसे में डेट फंड इस समय ऊंचे रिटर्न के साथ आकर्षक बन गए हैं। डेट फंड में निवेश का गणित बताती यह रिपोर्ट।

सांकेतिक तस्वीर

पिछले एक साल से भारत और वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार अस्थिर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी है। इन चुनौतियों के बावजूद भारत बेहतर प्रदर्शन करते हुए एक अलग मुकाम बनाए हुए है। यहां बाजारों में गिरावट नियंत्रण में है। इससे भारतीय बाजार का मूल्यांकन अभी भी उसके लंबे समय के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है।

डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करें
ऊंची ब्याज को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट फिर से आकर्षक लग रहा है। उम्मीद है कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है। इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी महंगाई और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है।

भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डायनॉमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम निवेश के लिए बेहतर हैं। एक प्रकार का डेट जो आगे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है वह है फ्लोटिंग रेट बांड अर्थात एफआरबी।

समाधान उन्मुख ऑफर्स से म्यूचुअल फंड लाभ देते हैं
अमेरिका का केंद्रीय बैंक महंगाई से निपटने के लिए सभी उपलब्ध उपायों का सहारा लेने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड इसलिए, निवेशकों को विशेष रूप से भारत में सावधानी बरतनी चाहिए। आने वाले वर्ष में, निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड पांच साल के समय के साथ एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए।

इक्विटी निवेश के नजरिए से, एकमुश्त निवेश के लिए बैलेंस्ड एडवंटेज या मल्टी एसेट श्रेणी बेहतर है। योजनाबद्ध, अनुशासित तरीके से बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी पर भी विचार कर सकते हैं।

दुनिया आपस में जुड़ी हुई है
इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। विकसित देशों के मंदी के दौर से गुजरने पर भी भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

शेयर बाजार में अगर गिरावट होती है तो हमें अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक बाजारों में से एक है। इसके अतिरिक्त, भू-राजनीतिक अनिश्चितता भी एक संभावित कारक है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से, यूरोप और एशिया ने भी भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया। बाजार ने अब तक इस तरह के किसी भी मामले पर ध्यान नहीं दिया है। इसलिए यह देखना होगा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे सामने आता है और आगे बढ़ता है।

गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ व फंड ऑफ फंड्स
एसेट क्लास में एक विविध पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम को कम किया जाए। अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेश करने का एक दिलचस्प मौका सामने होता है। वे न केवल महंगाई के बल्कि मुद्रा में गिरावट के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं। निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिए निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए सोना या चांदी फंड ऑफ फंड एक निवेश का विकल्प है। - निमेश शाह, एमडी एवं सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड

विस्तार

पिछले एक साल से भारत और वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार अस्थिर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी है। इन चुनौतियों के मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड बावजूद भारत बेहतर प्रदर्शन करते हुए एक अलग मुकाम बनाए हुए है। यहां बाजारों में गिरावट नियंत्रण में है। इससे भारतीय बाजार का मूल्यांकन अभी भी उसके लंबे समय के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है।

डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करें
ऊंची ब्याज को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट फिर से आकर्षक लग रहा है। उम्मीद है कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है। इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी महंगाई और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है।

भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डायनॉमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम निवेश के लिए बेहतर हैं। एक प्रकार का डेट जो आगे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है वह है फ्लोटिंग रेट बांड अर्थात एफआरबी।

समाधान उन्मुख ऑफर्स से म्यूचुअल फंड लाभ देते हैं
अमेरिका का केंद्रीय बैंक महंगाई से निपटने के लिए सभी उपलब्ध उपायों का सहारा लेने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए, निवेशकों को विशेष रूप से भारत में सावधानी बरतनी चाहिए। आने मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड वाले वर्ष में, निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए।

इक्विटी निवेश के नजरिए से, एकमुश्त निवेश के लिए बैलेंस्ड एडवंटेज या मल्टी एसेट श्रेणी बेहतर है। योजनाबद्ध, अनुशासित तरीके से बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी पर भी विचार कर सकते हैं।

दुनिया आपस में जुड़ी हुई है
इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। विकसित देशों के मंदी के दौर से गुजरने पर भी भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

शेयर बाजार में अगर गिरावट होती है तो हमें अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक बाजारों में से एक है। इसके अतिरिक्त, भू-राजनीतिक अनिश्चितता भी एक संभावित कारक है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से, यूरोप और एशिया ने भी भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया। बाजार ने अब तक इस तरह के किसी भी मामले पर ध्यान नहीं दिया है। इसलिए यह देखना होगा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे सामने आता है और आगे बढ़ता है।

गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ व फंड ऑफ फंड्स
एसेट क्लास में एक विविध पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम को कम किया जाए। अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेश करने का एक दिलचस्प मौका सामने होता है। वे न केवल महंगाई के बल्कि मुद्रा में गिरावट के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं। निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिए निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए सोना या चांदी फंड ऑफ फंड एक निवेश का विकल्प है। - निमेश शाह, एमडी एवं सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड

क्या म्यूचुअल फंड से हो रहा है मोहभंग? जून में 16,600 करोड़ की निकासी

विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं से जून मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड में निवेशकों ने करीब16,600 करोड़ की निकासी की है. इसमें प्रमुख वजह आय और तरल खंड के फंडों से निकासी करना है. यह लगातार दूसरा महीना है, जब इतनी मात्रा में निकासी हुई है.

प्रतीकात्मक फोटो

BHASHA

  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2017,
  • मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड
  • (अपडेटेड 10 जुलाई 2017, 4:37 PM IST)

विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं से जून में निवेशकों ने करीब 16,600 करोड़ की निकासी की है. इसमें प्रमुख वजह आय और तरल खंड के फंडों से निकासी करना है. यह लगातार दूसरा महीना है, जब इतनी मात्रा में निकासी हुई है.

इससे पहले मई में म्यूचुअल फंड से 41,000 करोड़ की निकासी हुई थी. अप्रैल मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड में इस क्षेत्र में 1.51 लाख करोड़ का निवेश किया गया.

बजाज कैपिटल के मुख्य कार्यकारी राहुल पारेख ने कहा कि म्यूचुअल फंड अब अपना ध्यान आय और मुद्रा बाजार या तरल कोषों से शेयर बाजार और शेयर आधारित बचत योजनाओं और शेयर उन्मुख बकाया कोषों की ओर लगा रहे हैं.

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जून में म्यूचुअल फंड से कुल 16,592 करोड़ की निकासी की गई. इसे ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में म्यूचुअल फंड में कुल निवेश 93,400 करोड़ रहा है.

आज से खुल गई एफडी से ज्यादा मुनाफा देने वाली स्कीम, 5000 रुपये से करें शुरू

NFO-New Fund Offer यह स्कीम 4 अगस्त से निवेश के लिए खुल गई है. 10 अगस्त तक इसमें पैसा लगाया जा सकता है. 5000 रुपये से शुरुआत की जा सकती है.

आज से खुल गई एफडी से ज्यादा मुनाफा देने वाली स्कीम, 5000 रुपये से करें शुरू

देश के सबसे तेजी से बढ़ते फंड हाउस में से एक मिरे एसेट इनवेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने ‘मिरे एसेट मनी मार्केट फंड’ लॉन्च किया है. यह एक ओपन एंडेड मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड डेट स्कीम है जो कि मनी मार्केट साधनों में निवेश करती है. यह नया फंड ऑफर (NFO-New Fund Offer) 4 अगस्त, 2021 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और 10 अगस्त, 2021 को बंद होगा. इसके फंड मैनेजर महेंद्र जाजू है.

क्या होते है डेट फंड

म्‍यूचुअल फंडों की तमाम कैटेगरी में डेट फंड एक हैं. डेट म्‍यूचुअल फंड फिक्‍स्‍ड इनकम सिक्‍योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्‍ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर आदि शामिल हैं.

शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी के नियमों के अनुसार, डेट म्‍यूचुअल फंड की विभिन्‍न कैटेगरी हैं. ये अपनी रकम को जहां निवेश करते हैं, उसी हिसाब से इन स्‍कीमों को वर्गीकृत किया गया है.

डेट म्‍यूचुअल फंड की कैटेगरी में आपस में काफी अंतर होता है. कुछ स्‍कीमें शॉर्ट-टर्म सिक्‍योरिटीज में निवेश करती हैं. वहीं, दूसरी लंबी अवधि के बॉन्‍ड में पैसा लगाती हैं.

इन सभी कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग तरह का होता है. लिहाजा, निवेशकों के लिए सही कैटेगरी को चुनना बेहद महत्‍वपूर्ण है. यह उनके निवेश के नजरिये और जोखिम प्रोफाइल से मेल खानी चाहिए.

नियम कहता है कि अगर आप ब्‍याज दर का जोखिम नहीं ले सकते हैं तो आपको शॉर्ट डेट स्‍कीमों के साथ जुड़े रहना चाहिए. इनमें लिक्विड फंड, अल्‍ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड इत्‍याद‍ि आते हैं.

इसी तरह डिफॉल्‍ट रिस्‍क नहीं लेना चाहते हैं तो मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड आपको क्रेडिट रिस्‍क फंडों से परहेज करना चाहिए. उस स्थिति में कॉरपोरेट बॉन्‍ड फंड और बैंकिंग एंड पीएसयू फंड के साथ रहने में भलाई है.

जानिए नए फंड की खासियत

यह उन निवेशकों के लिए आदर्श है जिनका निवेश लक्ष्य 1 साल तक के लिए होता है. इसका लक्ष्य बेहतर जोखि‍म समायोजित रिटर्न देना होता है.

निवेश प्राथमिक रूप से ऐसे मनी मार्केट साधनों में किया जाता मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड है जिनकी मैच्योरिटी एक साल तक होती है. इसके पोर्टफोलियो की अवधि‍ 6 महीने से 1 साल की होती है.

यह फंड प्रमुखता से रोलडाउन रणनीति को अपनाता है, जिसमें यह 6 महीने से 1 साल की अवधि‍ को बनाए रखता है. इस फंड में रेगुलर प्लान और डायरेक्ट प्लान का विकल्प दिया गया है जिसमें ग्रोथ विकल्प, आय वितरण और पूंजी निकासी (IDCW) विकल्प (भुगतान एवं पुन: निवेश) शामिल हैं

मिरे एसेट इनवेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के सीआईओ महेंद्र जाजू का कहना है कि ऐसे समय में जब निश्चित आय वाले बाजार पूरी दुनिया में लगातार ऊंची महंगाई की संभावना का सामना कर रहे हैं,

मनी मार्केट फंड अपने काफी तरल और उच्च गुणवत्ता वाले मुद्रा बाजार वाले साधनों में निवेश की वजह से काफी उपयुक्त हो सकते हैं, जो कि गहरे मनी मार्केट कर्व की वजह से यील्ड में आकर्षक बढ़त प्रदान करते हैं,

साथ ही तुलनात्मक रूप से कम परिपक्वता अवधि‍ के पोर्टफोलियो की वजह से गिरावट से वाजिब बचाव भी करते हैं.इस स्कीम में न्यूनतम प्रारंभि‍क निवेश 5,000 रुपये का होगा और उसके बाद 1 रुपये के गुणक में. निवेश का लक्ष्य न्यूनतम से मध्यम जोखि‍म के साथ बचत करना है.

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