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निवेश विश्लेषण के प्रकार

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ब्रिटेन में एफटीए वार्ताओं से सीख- द हिंदू संपादकीय विश्लेषण

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भारत के मुक्त व्यापार समझौते (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट/एफटीए): यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

भारत के मुक्त व्यापार समझौते (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स/एफटीए): द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दो देशों के मध्य मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए जाते हैं। मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) एवं उनकी विशेषताएं यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) तथा यूपीएससी मुख्य परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय संबंध-द्विपक्षीय संबंध) के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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भारत का मुक्त व्यापार समझौता (FTAs) चर्चा में क्यों है?

  • भारत 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से अनेक देशों तथा समूहों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहा है।

भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता

  • भारत यूरोपीय संघ, कनाडा, ब्रिटेन तथा इजराइल जैसे देशों के साथ एफटीए पर वार्ता कर रहा है।
  • मुक्त व्यापार समझौतों का दायरा: ये मुक्त व्यापार समझौते ​​विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हैं जैसे-
    • प्रशुल्कों में कमी से संपूर्ण विनिर्माण तथा कृषि क्षेत्र प्रभावित होता है;
    • सेवा व्यापार से संबंधित नियम;
    • डिजिटल मुद्दे जैसे डेटा स्थानीयकरण;
    • बौद्धिक संपदा अधिकार जिनका दवाओं के लिए पहुंच पर प्रभाव पड़ सकता है; तथा
    • निवेश संवर्धन, सुविधा तथा संरक्षण।

    भारत के वर्तमान एफटीए वार्ता के साथ मुद्दे

    • भारत गुप्त रूप से अधिकांश मुक्त व्यापार समझौतों पर वार्ता करता है, जिसके उद्देश्यों एवं प्रक्रियाओं के बारे में बहुत कम जानकारी होती है तथा नगण्य जांच होती है।
    • अन्य देशों में ऐसा नहीं है, जिनके साथ भारत इस तरह के मुक्त व्यापार समझौतों पर वार्ता कर रहा है। उदाहरण के लिए, यू.के. में, कई मजबूत तंत्र हैं जो एफटीए वार्ताओं में कुछ हद तक पारदर्शिता को प्रोत्साहित करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, ऐसे संस्थागत उपकरण हैं जो एफटीए पर हस्ताक्षर करने के दौरान तथा बाद में कार्यपालिका के कार्यों की जांच करने में सक्षम हैं। आइए इन तंत्रों पर एक दृष्टि डालें।

    यूके में एफटीए वार्ता से सीखना

    • एफटीए पर नीति पत्र: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड/डीएफआईटी), यूके, एक एफटीए पर वार्ता करने के पीछे रणनीतिक उद्देश्यों को निर्धारित करने वाला तथा यूके के लिए किसी विशेष देश के साथ एफटीए रखना क्यों महत्वपूर्ण है, इस विषय पर एक नीति पत्र (पॉलिसी पेपर) प्रकाशित करता है।
      • यह नीति पत्र एफटीए पर हस्ताक्षर करने के विशिष्ट लाभों को अत्यधिक विस्तृत रूप से सूचीबद्ध करता है जैसे कि-
        • आर्थिक लाभ की संभावना,
        • वितरण प्रभाव,
        • पर्यावरणीय प्रभाव तथा
        • एफटीए के श्रम एवं मानवाधिकार आयाम।
        • इसके अतिरिक्त, नीति पत्र विशिष्ट सुझावों पर सरकार के दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करता है।
        • ऐसा प्रतीत होता है कि वाणिज्य मंत्रालय भी हितधारक परामर्श एवं अंतर-मंत्रालयी बैठकें आयोजित करता है किंतु इन चर्चाओं एवं हितधारकों की चिंताओं पर सरकार की प्रतिक्रिया का कोई सार्वजनिक अभिलेख उपलब्ध नहीं है।
        • समर्पित निकाय: यू.के. में, एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए सरकार द्वारा अभिनिर्धारित किए गए रणनीतिक उद्देश्यों की यू.के. संसद द्वारा जांच की जाती है।
          • यह कार्य ब्रिटिश संसद की अंतर्राष्ट्रीय समझौता समिति (इंटरनेशनल एग्रीमेंट्स कमिटी/IAC) द्वारा संपादित किया जाता है।
          • आईएसी एफटीए पर विशेषज्ञ साक्षियों (गवाहों) को सुनता है, वार्ता के अधीन प्रत्येक एफटीए के लिए सरकार के रणनीतिक उद्देश्यों की आलोचनात्मक जांच करता है तथा सरकार के दृष्टिकोण में जहां कहीं भी अंतर पाता है, प्रमुख सिफारिशें प्रस्तुत करता है।
          • यूके सरकार तब इन सिफारिशों का उत्तर देती है। भारत में, एफटीए वार्ताओं के दौरान कार्यपालिका के कार्यों की ऐसी संसदीय जांच के लिए कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है।
          • भारत की संसदीय प्रणाली विभाग-संबंधित संसदीय समितियों की अनुमति देती है जो महत्व के विभिन्न विषयों पर चर्चा करती हैं एवं सिफारिशें प्रस्तुत करती हैं।
          • यद्यपि, वाणिज्य पर संसदीय स्थायी समिति (पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन कॉमर्स/पीएससीसी) कदाचित ही कभी एफटीए पर वार्ता एवं हस्ताक्षर करने के पीछे भारत सरकार के उद्देश्यों की जांच करती है।
          • यह संसद को उस संधि से अवगत कराने की अनुमति प्रदान करता है जिसे कार्यपालिका अनुसमर्थित करने जा रही है।
          • भारत में, मुक्त व्यापार समझौतों सहित संधियों के अनुसमर्थन में संसद की किसी भी भूमिका के लिए कोई तंत्र नहीं है।
          • संधियों में प्रवेश करना तथा इससे जुड़े मामले जैसे वार्ता, हस्ताक्षर एवं अनुसमर्थन संसद की संवैधानिक क्षमता के भीतर हैं।
          • किंतु, विगत सात से अधिक दशकों में संसद ने इस मुद्दे पर अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं किया है, इस प्रकार कार्यपालिका को एफटीए सहित संधियों पर वार्ता करने, हस्ताक्षर करने तथा अनुसमर्थन करने की अबाध स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

          भारत में एफटीए वार्ता प्रक्रिया के लिए आगे की राह

          भारत को यूके की किताब से सीख लेनी चाहिए तथा एफटीए सहित संधियों में प्रवेश करने के लिए एक कानून विकसित करना चाहिए। इस कानून में निम्नलिखित भाग होने चाहिए।

          पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें

          पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें

          विविधता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अलग-अलग एसेट्स में निवेश करने से निवेशकों का जोखिम कम होता है। इसके साथ ही यह बाजार के उतार-चढ़ाव से भी निवेशकों को बचाता है। यह मुनाफा बनाने की रणनीति में भी मददगार साबित हो सकता है।

          सभी पैसों को एक ही बस्ते में नहीं रखना चाहिए: यह बात विविधता को बहुत अच्छी तरह बताती है। पोर्टफोलियो में विविधता या एसेट एलोकेशन से आप अलग-अलग एसेट वर्ग में निवेश करते हैं। अगर किसी एक वर्ग में गिरावट आती है, तो दूसरा एसेट आपको नुकसान से बचाता है।

          एसेट एलोकेशन कैसे करें?
          बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए पोर्टफोलियो में विविधता लाना जरूरी है। विभिन्न एसेट क्लास में निवेश करके आप पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं।

          एसेट कैटेगरी में निवेश के विकल्प नीचे दिए गए हैं
          1) इक्विटी
          इक्विटी आमतौर पर अन्य एसेट वर्गों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह एसेट वर्ग सरल और समझने में आसान होता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें निवेश में एक बड़ा दायरा चाहिए।

          इक्विटी हर प्रकार के निवेशक को विकल्प देती है। इक्विटी में निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप शेयर्स के अनुसार विविधता दे सकते हैं। एग्रेसिव एप्रोच रखने वाले निवेशक विदेशी शेयर्स को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। ऐसे ETFs भी हैं जो कम लागत पर स्थिर लॉन्ग टर्म रिटर्न देते निवेश विश्लेषण के प्रकार हैं।

          बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए निवेशकों को अलग-अलग शेयर्स वाले पोर्टफोलियो में ही निवेश करना चाहिए। इसके लिए आपको कंपनी की हर अपडेट पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए। एक सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (जैसे तेजी मंदी ऐप) ऐसे निवेशकों की मदद करता है, जो निवेश की दुनिया में नए हैं या जिनके पास बाजार को ट्रैक करने का समय नहीं है।

          ये सलाहकार सेबी द्वारा विनियमित होते हैं और इनके पास पोर्टफोलियो के हर शेयर पर बारीकी से नजर रखने वाली अनुभवी टीम होती है।

          2) फिक्स्ड इंकम कैटेगरी
          बॉन्डस में निवेश निश्चित आय प्रदान करता है और वे आमतौर पर उतार-चढ़ाव से दूर होते हैं। आय के स्थिर स्रोत की तलाश करने वाले लोगों के लिए ये कैटेगरी सबसे सुरक्षित और कारगर होती है। यह जरूर है कि यह आमतौर पर लंबी अवधि में धन बनाने में मददगार साबित नहीं होते हैं।

          निवेशकों के पास बैंक फिक्स्ड डिपोजिट, सरकारी बॉन्ड और नॉन-कंवर्टेबल डिबेंचर (NCD) जैसे विकल्प होते हैं। NCD जोखिम भरा है, लेकिन अन्य निश्चित आय वाले एसेट की तुलना में अधिक रिटर्न देता है।

          3) सोना
          सोने में निवेश करने के तरीके में बदलाव आया है। पहले भौतिक रूप से इसमें निवेशक किया जाता था, पर अब नए रूपों जैसे गोल्ड म्यूचुअल फंड और ETF के माध्यम से भी सोने में निवेश किया जाता है।

          सोना अन्य एसेट वर्गों के विपरीत काम करता है। जब अन्य एसेट वर्गों में मंदी आ रही होती है, तो सोने का मूल्य बढ़ रहा होता है। इसलिए सोना अस्थिरता और मुद्रास्फीति के खिलाफ एक प्रभावी बचाव बन सकता है। इसके बावजूद सोना लंबी अवधि में ज्यदा रिटर्न देने में ज्यादा मददगार साबित नहीं होता।

          4) रियल एस्टेट
          सभी एसेट वर्गों में से रियल एस्टेट सबसे ज्यादा अचल संपत्ति में आती है। इसलिए रियल एस्टेट में निवेश जरूरत के आधार पर होना चाहिए।

          अचल संपत्ति में निवेश करने से हमेशा बचना चाहिए। चूंकि अचल संपत्ति में आपका निवेश एक लंबे समय तक अटका रह सकता है। इसमें आपके फंड आपकी जरूरत के वक्त मुश्किल से ही काम आते हैं क्योंकि इन्हें तुरंत बेच पाना मुश्किल होता है।

          रियल एस्टेट में भी आप अलग-अलग क्षेत्रों या आवासीय या वाणिज्यिक जैसे विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में पूंजी को विभाजित कर सकते हैं। रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT), और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (InvITs) रियल एस्टेट की नई कैटेगरी हैं, जो निवेशकों को लुभा रही हैं।

          5)म्यूचुअल फंड
          म्यूचुअल फंड के जरिए निवेशक एक फंड में निवेश करते हैं। इस फंड को पेशेवर फंड मैनेजर नियंत्रित करता है। म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए इक्विटी में निवेश करने का सबसे आसान तरीका है।

          जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेशक इक्विटी फंड या डेट (debt) फंड में निवेश कर सकता है। हाइब्रिड फंड के जरिए वह दोनों फंड का फायदा एकसाथ उठा सकते हैं। इसके अलावा निवेशक सेक्टोरल फंड, मल्टी-कैप फंड या कमोडिटी फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

          पारंपरिक म्यूचुअल फंड के अलावा निवेशक नए उभरते इक्विटी ट्रेडेड फंड (ETF) और इंडेक्स फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

          म्यूचुअल फंड के कुछ नुकसान भी हैं। इसमें वास्तविक होल्डिंग्स, कमीशन, उच्च निकास भार और उच्च व्यय अनुपात पर नियंत्रण की कमी शामिल है। निवेशकों को निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड से जुड़ी लागतों के बारे में जान लेना चाहिए।

          6) बिटकॉइन, एथेरियम (Ethereum) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी
          क्रिप्टोकरेंसी एक ट्रेंडिंग एसेट वर्ग है जिसमें निवेशक निवेश कर सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए कई एक्सचेंज और प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं।

          बता दें कि एसेट कैटेगरी जोखिम भरी और नियामक अनिश्चितता से प्रभावित होने वाली होती हैं। यह ज्यादातर लोगों के लिए जटिल भी होती हैं।

          निवेशक को इस अस्थिर और फायदेमंद एसेट वर्ग निवेश विश्लेषण के प्रकार में अपने जोखिम को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करना चाहिए। आपको उतना ही निवेश करना चाहिए, जिसे खोने के लिए आप तैयार हों, इसे ही रिस्क कैपेसिटी भी कहते हैं।

          पोर्टफोलियो में विविधता के क्या लाभ हैं?
          एक अच्छा पोर्टफोलियो वही है जिसमें जोखिम विभिन्न एसेट्स वर्ग में बंटा हुआ हो। यानी एक ही कैटेगरी पर सारा निवेश करने से आपका जोखिम बढ़ जाता है। बाजार में गिरावट के दौरान विविधता भरा पोर्टफोलियो आपको ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचने देता।

          यह मन की शांति देता है क्योंकि एक ही जगह आपका पूरा पैसा लगा नहीं होता है, तो जोखिम कम हो जाता है। विभिन्न वर्गों में निवेश करने से निवेशकों को विभिन्न क्षेत्रों में विकास के अवसर भी प्राप्त होते हैं।

          पोर्टफोलियो में विविधता के क्या नुकसान हैं?
          सबसे पहले एक निवेशक को यह समझने की जरूरत है कि निवेश के अच्छे अवसर बहुत कम होते हैं। पोर्टफोलियो में जितनी विविधता होती है, उनमें गलती की गुंजाइश भी उतनी ही बढ़ जाती है। विविधता लाने की कोशिश करते समय गलत निवेश को चुनने का जोखिम होता है। नतीजतन आपके पोर्टफोलियो की क्वॉलिटी कम हो जाती है और आपको कम या कोई रिटर्न नहीं मिलता है।

          हर एसेट्स वर्ग का काम करने का अपना तरीका होता है। बहुत ज्यादा विविधता लाने के चक्कर में हो सकता है कि आप बिना किसी एसेट वर्ग को समझे उसमें निवेश कर दें। इससे जटिलताओं को बढ़ावा मिलता ही है इसके साथ ही यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

          विविधता कर में भी बढ़ोतरी कर सकती है क्योंकि हर वर्ग में कर लागू करने तरीका अलग होता है। टैक्स प्लानिंग एक बहुत ही जटिल विषय है और बहुत कम निवेशकों को इसकी जानकारी होती है। इसलिए विविधता लाने के चक्कर में कई बार निवेशक को बहुत अधिक कर देना पड़ता है तो कई बार उसे टैक्स प्लानर की बहुत अधिक फीस भी देनी पड़ सकती है।

          बेहतर होगा कि आप कुछ ही एसेट्स क्लास में निवेश करें। निवेशकों को यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि पिछला प्रदर्शन भविष्य के बेहतर प्रदर्शन की गारंटी नहीं देता है। इसलिए आप उन्हीं एसेट्स में निवेश करें, जिनकी आपको जानकारी है। या फिर आप किसी भरोसेमंद सलाहकार के साथ जुड़कर निवेश कर सकते हैं।

          तेजी मंदी 15 शेयर्स का एक विविध पोर्टफोलियो देता है। शेयर बाजार में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए यह पोर्टफोलियो निवेश की शुरुआत करने का बहुत अच्छा जरिया है। इससे निवेशक शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के स्टॉक्स का लाभ उठा सकते हैं।

          निवेश कर अमीर बनने के ये हैं 10 बेहतरीन विकल्प

          सचाई यह है कि कम जोखिम के साथ बेहतरीन रिटर्न नहीं कमाया जा सकता. वास्तव में जहां रिटर्न अधिक होगा, वहां जोखिम भी अधिक होगा.

          निवेश कर अमीर बनने के ये हैं 10 बेहतरीन विकल्प

          निवेश के किसी विकल्प को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना-समझना जरूरी है. कुछ निवेश ऐसे हैं जिनमें लंबी अवधि में अधिक जोखिम के साथ अधिक रिटर्न का मौका मिलता है.

          निवेश के वास्तव में दो तरीके हैं-वित्तीय और गैर वित्तीय निवेश विकल्प.

          इसे भी पढ़ें: कैसे ट्रांसफर करें PPF अकाउंट?

          वित्तीय प्रोडक्ट में आप शेयर बाजार से संबद्ध विकल्प (शेयर, म्यूचुअल फंड) चुन सकते हैं या फिक्स्ड इनकम (PPF, बैंक FD आदि) के विकल्प चुन सकते हैं. गैर वित्तीय निवेश विकल्प में सोना, रियल एस्टेट आदि आते हैं. ज्यादातर भारतीय निवेश अब तक निवेश के इसी गैर वित्तीय निवेश विकल्प का प्रयोग करते रहे हैं.

          हम आपको यहां बता रहे हैं निवेश के शीर्ष 10 विकल्प:

          शेयरों में निवेश
          हर किसी के लिए शेयरों में सीधे निवेश करना आसान नहीं है. इसमें रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं है. सही शेयरों का चुनाव मुश्किल काम है, इसके साथ ही शेयर की सही समय पर खरीदारी और सटीक वक्त पर निकलना महत्वपूर्ण है. निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में शेयर में लंबी अवधि में रिटर्न देने की क्षमता सबसे अधिक होती है.

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          इक्विटी म्यूचुअल फंड
          म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी शेयरों में निवेश से ही रिटर्न कमाती है. सेबी के निर्देश के मुताबिक जो म्यूचुअल फंड स्कीम अपने फंड का 65% शेयरों में निवेश करती है, वह इक्विटी म्यूचुअल फंड कहलाती है. इसमें एक फंड मैनेजर होता है जो पर्याप्त रिसर्च के बाद निवेश के लायक शेयर चुनता है और उसमें निवेश करता है.

          इक्विटी स्कीम बाजार पूंजीकरण या सेक्टर के हिसाब से अलग हो सकती हैं. इस समय इक्विटी म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 15फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.

          डेट म्यूचुअल फंड
          म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी उन निवेशकों के लिए सही है जो निवेश से गारंटीड रिटर्न कमाना चाहते हैं. ये म्यूचुअल फंड कॉरपोरेट बांड्स, सरकारी सिक्योरिटीज, ट्रेजरी बिल्स, कमर्शियल पेपर आदि में निवेश से रिटर्न कमाती है. इस समय डेट म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 6.5, 8 और 7.5 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.

          नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)निवेश विश्लेषण के प्रकार
          नेशनल पेंशन सिस्टम (nps) का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में अच्छा रहा है. बहुत कम फीस स्ट्रक्चर भी इसे निवेश का आकर्षक विकल्प बनाता है. बाजार से जुड़े उत्पादों में देश में यह सबसे कम खर्च वाला प्रोडक्ट है. निकासी संबंधी नियमों में बदलाव और अतिरिक्त टैक्स-छूट की वजह से भी यह निवेशक की पसंद में शामिल हो गया है.

          एनपीएस बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाने या किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में आंशिक निकासी की सुविधा देता है. इसमें हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी आपको निवेश में बने रहना जरूरी होता है. यह वास्तव में शेयर, FD, कॉरपोरेट बांड, लिक्विड फंड और सरकारी निवेश विकल्प का मिला जुला रूप है.

          इस समय NPS का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 9.5, 8.5 और 11 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.

          पीपीएफ
          देश में निवेशकों के बीच पीपीएफ सर्वाधिक लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत किसी एक वित्त वर्ष में आप पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं.

          निवेश के इस विकल्प की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको EEE (निवेश के वक्त करमुक्त, ब्याज पर करमुक्त, निवेश भुनाने पर करमुक्त) का लाभ देता है.
          निवेश के इस विकल्प में सरकारी गारंटी इसकी लोकप्रियता को और बढ़ा देती है.

          बैंक FD
          बैंक या पोस्ट ऑफिस में कराई जाने वाली टैक्स सेविंग FD से आप निवेश के वक्त सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचा सकते हैं. यह निवेश का सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाला विकल्प है. इस पर मिलने वाले ब्याज पर आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है.

          डिपाजिट इंश्योरेंस एवं क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के हिसाब से आपकी एक लाख रुपये तक की जमा रकम बीमित है.

          सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
          पोस्ट ऑफिस की तरफ से बेस्टसेलर के रूप में यह स्कीम रिटायर्ड लोगों के लिए निवेश का पसंदीदा स्रोत है. यह सेवानिवृत लोगों के लिए आय का नियमित स्रोत भी है. इस स्कीम की अवधि पांच साल है जिसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है.

          इसमें हालांकि प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये की अधिकतम निवेश सीमा है. यह 60 साल से अधिक उम्र के निवेशकों के लिए ही खुली है, हालांकि सेना से रिटायर मेंट लेने वाले लोगों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है.

          विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन भर की बचत को पार्क करने और उस पर कमाई के हिसाब से यह स्कीम बेहतरीन है. यह सेवानिवृत लोगों की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है.

          रिजर्व बैंक के टैक्सेबल बांड्स
          पहले इस स्कीम में आठ फीसदी सालाना का ब्याज मिलता था जिसे सरकार ने बदल कर अब 7.75 फीसदी ब्याज वाला विकल्प बना दिया है. इस बांड में पांच साल के लिए निवेश किया जा सकता है.

          रियल एस्टेट
          खुद के रहने के हिसाब से घर खरीदना अब निवेश के लिहाज से भी आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है. अगर आपको रहने की जरूरत नहीं है तो आप निवेश के हिसाब से भी दूसरा घर खरीद सकते हैं. निवेश के इस विकल्प में आपको सिर्फ प्रॉपर्टी की लोकेशन और वहां मौजूद सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है.

          इसमें निवेश से आप पूंजी में इजाफा और किराये से आमदनी, दो तरीके से रिटर्न कमा सकते हैं.

          सोना
          निवेश का यह विकल्प सदियों से भारतीयों की पसंद में शामिल है, पहनने के लिए खरीदी जाने वाली ज्वेलरी से लेकर निवेश के रूप में खरीदे गए सिक्के और बार तक, सोना बिना किसी संदेह के भारतीयों की पसंद में सबसे ऊपर है. अब आप पेपर गोल्ड के रूप में भी सोने में निवेश कर सकते हैं.

          गोल्ड ETF में निवेश करना और भुनाना दोनों ही शेयर बाजार के जरिये होता है.

          आप क्या करें
          निवेश के कुछ विकल्प शेयर बाजार से संबद्ध हैं तो कुछ निश्चित ब्याज वाले हैं. आप जोखिम लेने की अपनी क्षमता के हिसाब से ही रिटर्न की उम्मीद रखें.

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          पोर्टफोलियो क्या होता है

          एक वित्तीय संस्थान आदर्श रूप से एक निवेश पोर्टफोलियो बनाने के लिए अपना स्वयं निवेश विश्लेषण के प्रकार का निवेश विश्लेषण करेगा, जबकि एक निजी व्यक्ति पोर्टफोलियो प्रबंधन प्रदान करने वाले वित्तीय सलाहकार या वित्तीय संस्थान की सुविधा की तलाश कर सकता है। यदि आप नहीं जानते कि पोर्टफोलियो क्या होता है तो हम इसे आसान भाषा में बताने जा रहे हैं।

          पोर्टफोलियो क्या होता है

          पोर्टफोलियो क्या होता है

          वित्त में पोर्टफोलियो किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा किए गए निवेश का एक उपयुक्त संयोजन या संग्रह होता है। एक पोर्टफोलियो रखना एक निवेश और जोखिम-सीमित रणनीति का हिस्सा है, जिसे विविधीकरण के रूप में भी जाना जाता है। कई संपत्तियों के मालिक होने से, कुछ प्रकार के जोखिमों (कुछ विशिष्ट जोखिमों सहित) को कम किया जा सकता है।

          शब्द “पोर्टफोलियो” वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे स्टॉक, बॉन्ड और नकदी के किसी भी संयोजन को संदर्भित करता है। पोर्टफोलियो व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा आयोजित किया जा सकता है या वित्तीय पेशेवरों, हेज फंड, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।

          यह आम तौर पर स्वीकृत सिद्धांत है कि एक पोर्टफोलियो को निवेशक की जोखिम सहनशीलता, समय सीमा और निवेश उद्देश्यों के अनुसार डिज़ाइन किया गया है। प्रत्येक परिसंपत्ति निवेश विश्लेषण के प्रकार निवेश विश्लेषण के प्रकार का मौद्रिक मूल्य पोर्टफोलियो के जोखिम/इनाम अनुपात को प्रभावित कर सकता है।

          पोर्टफोलियो की संपत्ति में शामिल हो सकते हैं: –
          बैंक खाता; स्टॉक, बॉन्ड, वारंट, गोल्ड सर्टिफिकेशन, अचल संपत्ति, फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स, प्रोडक्शन यूनिट्स या कोई अन्य वस्तु जिससे इसके मूल्य को बनाए रखने की उम्मीद की जा सकती है। यह व्यवस्था लार्ड कैनिंग के समय में लागू की गई थी।

          पोर्टफोलियो प्रबंधन

          पोर्टफोलियो प्रबंधन में, पोर्टफोलियो अधिकारी के उद्देश्यों और बदलती आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह तय किया जाता है कि पोर्टफोलियो में कौन सी संपत्ति शामिल की जानी चाहिए। इस विकल्प के तहत यह तय किया जाता है कि कौन सी संपत्ति खरीदी जाए, कितनी खरीदी जाए, कब खरीदी जाए और किन संपत्तियों को हटाया जाए।

          इन निर्णयों में हमेशा प्रदर्शन माप के कुछ रूप शामिल होते हैं, आमतौर पर पोर्टफोलियो से अपेक्षित रिटर्न और इस रिटर्न से जुड़े जोखिम (यानी, मुनाफे का मानक विचलन)। आदर्श रूप से, अलग-अलग संपत्ति वाले पोर्टफोलियो के बंडलों के अपेक्षित रिटर्न की तुलना की जाती है।

          निवेशक के विशिष्ट उद्देश्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। कुछ निवेशक दूसरों की तुलना में अधिक जोखिम से बचते हैं। म्यूचुअल फंड ने अपने पोर्टफोलियो स्वामित्व को अधिकतम करने के लिए विशिष्ट तकनीकों का विकास किया है। विस्तृत जानकारी के लिए फंड प्रबंधन देखें।

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