ट्रेडर कौन होते है

ट्रेडर कौन होते है
अभी तक हमने बाजार के बारे में जाना की शेयर बाजार क्या है, निफ्टी और सेंसेक्स क्या है।अब हम आगे बढ़ते है आज हम शेयर बाजार के बेसिक टर्म की बात करेंगे।
शेयर मार्केट में इन्वेस्टर उन्हे समझा जाता है जिसके पास किसी शेयर के इन्वेस्टमेंट के लिए एक लॉन्ग टर्म का व्यू होता है ,जो किसी शेयर में मुनाफे और डिविडेंड के लिए इन्वेस्टमेंट करते है।
1 .वैल्यू इंवेस्टर (Value Investor):- वैल्यू इन्वेस्टर मार्केट में लिस्टेड अच्छी कम्पनियो को ढूढ़ने की कोशिश करते है और उसमे निवेश करते है ,और उनके लिए ये मायने नहीं करता की कंपनी अभी लिस्ट हुई है या काफी पुरानी है अगर उन्हें उस कंपनी में अपने रिटर्न की वैल्यू दिखती है तो वो उसमे निवेश करते है।
ग्रोथ इंवेस्टर (Growth Investor):- ग्रोथ इन्वेस्टर हमेशा ऐसे कंपनियों की ट्रेडर कौन होते है तलाश करते है जिसकी मौजूदा हालात की वजह से ग्रोथ होने की संभावना दिखती है और वो ऐसी कम्पनियो में निवेश करते है।
शेयर बाजार में ट्रेडर उन्हे समझा जाता है जो शेयर बाजार में दिन के सौदे में ही मुनाफा कमाते है या कुछ दिन के लिए पोजीशन बनाते है और मुनाफा होते ही मुनाफा वसूली करके पोजीशन से निकल जाते है इसमें इंट्राडे ट्रेडर और फ्यूचर एंड ट्रेडर कौन होते है ऑप्शन ट्रेडर इस कैटेगरी में मुख्य है।
जब आप शेयर मार्केट में किसी दिन किसी शेयर में पोजीशन लेते हो और उसी दिन ही पोजीशन से एग्जिट हो जाते हो तो उस ट्रेड को इंट्राडे ट्रेड कहते है।
उदाहरण से समझते है जैसे आज बाजार खुलने के बाद आपने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 100 शेयर्स 10 बजे 2250 रुपये में ख़रीदे और दिन के उतर चढ़ाव के बाद आपने उन 100 शेयर्स को 12 बजे 2260 रुपये में बेचे ,तो आपका आज का ये ट्रेड इंट्राडे कहलायेगा।
जब आप किसी शेयर को एक दिन से ज्यादा होल्ड करते हो तो शेयर डिलीवरी शेयर कहलाता है। इस शेयर को आपने जिस दिन ख़रीदा है उसके बाद किसी भी दिन बेच सकते है ,अगर कहा जाय तो जब आप कोई डिलीवरी शेयर लेते हो इसका एक साफ मतलब ये भी निकलता है कि एक तरह से आपके पास उस कंपनी की एक हिस्सेदारी है।
उदाहरण से समझते है जैसे आज मार्केट के समय में आपने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 100 शेयर डिलीवरी में ख़रीदे और आपने उन शेयर्स को होल्ड कर दिया है तो अब ये शेयर डिलीवरी के शेयर्स है। अब आपका इन शेयर्स पर पूरा हक़ है आप जब चाहे इन्हे बेच सकते है।
डिलीवरी शेयर खरीदते समय ये ध्यान देना है कि जब आप अपने एप्प में आर्डर प्लेस करते हो तो वहाँ पर प्रोडक्ट टाइप डिलीवरी ही चुनना है।
जब बाजार में तेजी का माहौल होता है तो इसी को बुल मार्केट कहते है ,इस तरह ट्रेडर कौन होते है के बाजार में अधिकतर शेयर्स में खरीददारी देखने को मिलती है।
जब बाजार में मंदी का माहौल यानि गिरावट देखने को मिलती है तो ऐसे में मार्केट को बेयर मार्केट कहा जाता है ,इस तरह के बाजार में अदिकतर शेयर्स में गिरावट देखने को मिलती है।
जब बाजार, बुल या बेयर में से किसी एक तरफ जाता हुआ दिखाई देता है तो इसी को ट्रेंड कहते है। उदाहरण से समझते है अगर बाजार में आज बुल की पकड़ है और बाजार आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है तो ऐसे में बाजार में ट्रेंड तेजी का है।
हर कंपनी अपने शेयर का एक वैल्यू तय करती ट्रेडर कौन होते है है जिसके आधार पर कम्पनी अपने कॉर्पोरेट निर्णय लेती है जैसे स्टॉक स्प्लिट और डिविडेंड और यही वैल्यू कंपनी की फेस वैल्यू कहलाती है।
हर ट्रेडिंग डे के लिए स्टॉक एक्सचेंज हर कंपनी का एक टारगेट प्राइस सेट करके रखती है जिसके ऊपर या नीचे कंपनी के शेयर्स का वैल्यू नहीं जा सकता ये टारगेट प्राइस उस शेयर्स के पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस का 5%, 10%, या 20% में से कुछ भी हो सकता है ,नीचे की तरफ सेट किये गए टारगेट प्राइस को लोअर सर्किट कहते है और ऊपर की तरफ सेट किये गए प्राइस को अपर सर्किट कहते है।
ट्रेडर कौन होते है
अक्सर 'मूमेंटम ट्रेडिंगÓ को गलत रुप से परिभाषित किया जाता है। मूमेंटम ट्रेडर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो रुझानों पर नजर रखता है और उस हिसाब से निवेश करता है। जो लोग रुझान के विपरीत कारोबार करते हैं उन्हें काउंटर-मूमेंटम ट्रेडर कहा जाता है। एक तीसरी श्रेणी नॉन-मूमेंटम ट्रेडर की होती है जो उन निचले स्तरों पर कारोबार कर रहे शेयरों में निवेश करते हैं जिनके भविष्य में चढऩे की संभावना होता है। यह तरीका उसके बहुत करीब है जो एक बुनियादी निवेशक मूल्यांकन देख कर करता है।
जोखिम प्रबंधन के लिहाज से इन तीनों शेयरों की तुलना करना आवश्यक हो जाता है। ट्रेंड और काउंटर ट्रेंड यांत्रिक नियमों से बने होते हैं। बाजार में तेजी को देखते हुए कारोबारी खरीद मूल्य से कम पर स्टॉप लॉस लगा देते हैं। अगर रुझान बरकरार रहता है तो स्टॉप ऊपर चला जाता है और कारोबार बरकरार रह जाता है। अगर रुझान विफल होता है तो स्टॉप पर असर पड़ता है और बाहर निकलने पर कुछ नुकसान होता है। काउंटर- टें्रड ट्रेडर अक्सर उस समय शेयर या शेयर वायदा की शॉर्ट सेलिंग करता है जब उसे रुझान बरकरार रहने के आसान कम नजर आते हैं। स्टॉप लॉस विक्रय मूल्य के ऊपर लगाया जाता है। और उसका फैसला सही साबित होता है तो वह कुछ मुनाफा कमाता है या नहीं तो नुकसान होता है। यह नियम उस समय बदल जाते हैं जब मूमेंटम ट्रेडर गिरते बाजार में शॉर्ट पोजीशन लेते हैं या काउंटर-ट्रेडर गिरावट में लॉन्ग पोजीशन लेते हैं। इस तरह का कारोबार थोड़ा जोखिम भरा होता है।
क्रियान्वयन और अपनी पोजीशन के प्रबंधन की बेहतर समझ होने से कारोबारी अपने संभावित नुकसान का अंदाजा लगाने में अधिक सक्षम साबित होते हैं। काउंटर-ट्रेडर कीमत का लक्ष्य तय करते हैं जबकि ट्रेंड ट्रेडर ऐसा नहीं करते हैं। नॉन-मूमेंटम ट्रेड बिना किसी यांत्रिक नियमों के हो सकता है। कारोबारी या निवेशक उन शेयरों की ओर देख रहे हैं जिनका प्रदर्शन काफी लंबे समय से अपेक्षाकृत खराब रहा है लेकिन फिर भी बुनियाद मजबूती दिख रही है। निवेशक प्राय: शेयर के निश्चित रुझान को नहीं देखते हुए इसका मूल्यांकन तुलनात्मक प्रदर्शन देखकर करते हैं। व्यवहार में नॉन-मूमेंटम ट्रेडर शायद ही स्टॉप लॉस, कीमत लक्ष्य या समय सीमा निर्धारित करते हैं। आखिर नॉन-मूमेंटम ट्रेडर के साथ कौन से जोखिम जुड़े होते हैं? इस तरह के कारोबार महंगे नहीं होते हैं इसलिए एक खतरे की आशंका तो कम हो जाती है। थोड़ी देर के लिए मान लें कि इस श्रेणी में आने वाला निवेशक में किसी भी पोजीशन से निपटने की क्षमता होती है। अगर शेयर नीचे जाता है और पूंजी का नुकसान होता है लेकिन कोई स्पष्टï स्टॉप लॉस नहीं होता है। निवेशक में नुकसान झेलने की सीमा होती है जहां निवेशक कुछ रकम गंवा कर भी बाहर निकल जाता है। लेकिन नुकसान अगर धीरे-धीरे बढऩे लगता है तो कारोबारी को कई कष्टïपूर्ण फैसले लेने पड़ सकते हैं। बिना स्टॉप लॉस के हमेशा नुकसान देने वाले कारोबार पर बने रहने की प्रवृत्ति होती है और यह सोच काम करती है कि स्थिति अनुकूल हो जाएगी।
अगर यह मान लें कि नुकसान सहने की आंतरिक क्षमता प्रभावित नहीं होती है तो क्या कारोबारी हमेशा के लिए शेयर अपने पास रखेगा, खासकर ऐसे में जब प्रतिफल नहीं मिल रहा है? शायद नहीं। लेकिन इससे ऑपच्र्युनिटीज कॉस्ट की धारणा पर विचार करना पड़ता है। मान लें कि शेयर बिना किसी खास प्रतिफल के एक साल तक रखा जाता है तो निवेशक समान पूंजी पर फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले एक साल का जोखिम मुक्त प्रतिफल गंवा बैठता है।
आखिर किस स्तर पर निवेशक नुकसान कम कर सकता है? स्पष्टï तौर पर जोखिम लेने की व्यक्तिगत क्षमता सवाल के दायरे में आती है और इमसें भिन्नता देखने को भी मिल सकती है। अंतिम बिंदु यह है कि नॉन-मूमेंटम टे्रडर ट्रेडर कौन होते है के पास भी स्पष्टï लक्ष्य नहीं होते हैं। अगर किसी कारोबार से मुनाफा मिल रहा है तो कब मुनाफावसूली करनी चाहिए? निवेशकों को शुरुआती दौर में मुनाफावसूली करने, निवेश बनाए रखने या लंबे समय तक रकम फंसाए रखने के बारे में काफी मशक्कत के बाद फैसला करना होता है।
'नॉन-मूमेंटमÓ निवेश के मुनाफा कमाने की संभावना उतनी ही होती है जितनी मूमेंटम या काउंटर-ट्रेंड ट्रेड की होती है। लेकिन मुझे लगता है कि औसत नॉन-मूमेंटम इन्वेस्टर्स इन महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में नहीं सोच पाते हैं। जोखिम इसलिए नहीं दिखाई पड़ता क्योंकि इसे दिखाया नहीं जाता है। नियम तय होने से कारोबारी जोखिम लेने की अपनी क्षमता और जोखिम समझने के लिए बाध्य होते हैं। नियम तय करने के कई मनोवैज्ञानिक फायदे भी होते हैं।
कभी ट्यूशन पढ़ा कर करना पड़ता था गुजारा, आज शेयर बाजार में कर रही हैं लाखों की कमाई
कविता ने बहुत कम उम्र में पैसे कमाने की कीमत और उसे बचाने की कला दोनों सीख ली थी. कविता बचपन से पढ़ने-लिखने में काफी तेज थी. उन्होंने आई सेक्टर नें फुल टाइम जॉब करते हुए शेयर बाजार को समझा. और आज वो ऑप्शन ट्रेड करती है. पॉजिटिव माइंड सेट के साथ वो निरंतर आगे बढ़ रही हैं.
कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होते, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. शेयर बाजार की दिग्गज कविता पर यह पंक्ति पूरी तरह फिट बैठती है. आज से करीब 11 साल पहले कविता ने शेयर बाजार में एंट्री की थी, और देखते ही देखते वो बाजार की माहिर खिलाड़ी बन गई. आज कविता का पोर्टफोलियो 2 करोड़ से अधिक का है. पेश से आईटी सेक्टर से ताल्लुक रखने वाली कविता आज कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं.
मिंट में आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कविता पश्चिम बंगाल के बर्दवान की रहने वाली है. वो फिलहाल एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी में आईटी पेशेवर के रूप में काम कर रही हैं, लेकिन इसके बाद भी वो एक सफल ट्रेडर हैं. उन्होंने ऑप्शन और फ्यूचर ट्रेड में कई झंडे गाड़े हैं. जिस ऑप्शन ट्रेड में कई दिग्गजों के भी पसीने छूट जाते हैं कविता के लिए वो लाल हरे कैंडल सफलता की सीढ़ी हैं.
कम उम्र में समझी पैसे की कीमत: मिंट के मुताबिक, कविता ने बहुत कम उम्र में पैसे कमाने की कीमत और उसे बचाने की कला दोनों सीख ली थी. कविता बचपन से पढ़ने-लिखने में काफी तेज थी.महज 14 साल की उम्र में उन्होंने ट्यूशन सत्र चलाना शुरू कर दिया था. मिंट से बात करते हुए खुद कविता ने कहा कि जब मैं छोटी थी, मेरे दादा-दादी और रिश्तेदार मुझे प्यार की निशानी के रूप में पैसे देते थे तो उसे वो अपनी मां को दे देती थी, कविता ने कहा कि इसके बदले मां उन्हें कुछ ब्याज राशि देती थी.
पैसे बचाने की सीखनी चाहिए कला-कविता: कविता कहती है कि जीवन की शुरुआत से ही हमे पैसे के महत्व को समझना चाहिए. उन्होंने अपने माता-पिता के प्रति आभार जताते हुए कहा कि माता-पिता का समर्थन सफलता का निर्णायक कारक है. वह कहती हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया कि कोई भी अपनी खर्च करने की आदतों पर नियंत्रण रखकर पैसे बचा सकता है. अपने स्ट्रगल के बारे में उन्होंने कहा कि एक समय था कि उनके पिता के पास हॉस्टल फी भरने के पैसे नहीं थे इस कारण हर दिन वो 3 घंटे बस में बैठकर कॉलेज आना-जाना करती थी.
नौकरी के बाद शुरू हुआ ट्रेडिंग का सफर: पढ़ाई पूरी करने के बाद कविता को पुणे स्थित एक आईटी कंपनी नौकरी मिली. यहीं पर पहली बार ट्रेडर कौन होते है कविता को ट्रेडिंग की जानकारी मिली. दरअसल, उसके कुछ साथी ट्रेड किया करते थे. इसके बाद कविता की भी दिलचस्पी शेयर बाजार में बढ़ती गई. शुरूआत में कविता ने शेयर बाजार को अतिरिक्त आय के लिए माध्यम के रूप में चुना. लेकिन जल्द ही समझ गई कि बाजार कितना पैसा दे सकता है. बस क्या था कविता मेधावी छात्रा तो थी ही जल्द ही वो ट्रेड की बारीकियों को समझती चली गई.
लोन लेकर बढ़ाया पोर्टफोलियो: शेयर बाजार समझने के बाद कविता का रुझान इंट्राडे ट्रेडिंग की ओर हो गया. शुरुआत में उन्होंने ऑप्शन ट्रेड के जरिए 4 से 5 सौ रुपये का मुनाफा कमाया. इसके बाद उन्होंने लोन लेकर पोर्टफोलियो बढ़ाने का विचार किया. कविता ने 3 लाख का लोन भी ले लिया. लोन लेने का फैसला उनके जीवन का बड़ा और सही फैसला साबित हुआ. हालांकि जब लोन की जानकारी उनके माता-पिता को हुई तो उन्होंने चिंता भी जाहिर किया. लेकिन तब तक कविता के 20 लाख रुपये के हो चुके पोर्टफोलियो ने सारी चिंता दूर कर दी.
इंट्राडे ट्रेन ने दिलाई खासी कमाई: कविता ने ऑप्शन ट्रेड की हर बारिकियों को बेहतर तरीके से समझा है. वो सफल ट्रेडर हैं. पॉजिटिव माइंड सेट के साथ वो निरंतर आगे बढ़ रही हैं. कविता ने खुद को पोजीशनल ट्रेडर बताते हुए साप्ताहिक और मासिक ऑप्शन पर ट्रेड करती है.
जॉब के अलावा करना चाहते हैं अतिरिक्त कमाई, एक्सपर्ट बता रहे हैं आसान उपाये
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ट्रेडर और निवेशक के बीच का अंतर जानें | Know the difference between a trader and an investor
इक्विटी बाजारों के संदर्भ में निवेश करना और ट्रेड करना अक्सर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि, ये दो बहुत अलग दृष्टिकोण हैं - एक लाभ प्रदान करता है, दूसरा धन सृजन करता है। ऐसे:
आइए, लगभग समान मूल्य के दो अलग-अलग स्टॉक की मदद से प्रत्येक दृष्टिकोण को समझते हैं।
परिदृश्य 1: ₹25 के मौजूदा बाजार मूल्य (CMP) वाले स्टॉक X को मौलिक रूप से मजबूत माना जाता है, जिसमें दीर्घकालिक वृद्धि की क्षमता है।
निवेशक: आज ₹25 की दर से X की 1000 यूनिट खरीदता है - 3 साल बाद इन शेयर को ₹36 की दर से बेच देता है।
परिदृश्य 2: ₹25 के CMP वाला स्टॉक Y आवर्ती उद्योग से संबंधित है, जो इस समय बढ़ रहा है।
ट्रेडर: Y की 1000 यूनिट ₹25 की दर से खरीदता है - इसे एक सप्ताह के भीतर ₹26 की दर से बेच देता है। एक महीने के बाद फिर से ₹29 की दर से समान संख्या में यूनिट खरीदता है और ₹30.5 की दर से बेच देता है। तीसरी बार ₹28.75 की दर से खरीदता है और ₹27 की दर से बेच देता है, और अंत में ₹28 की दर से खरीदता है और ₹29.5 की दर से बेच देता है।
इन दो अलग-अलग दृष्टिकोणों में, एक निवेशक लंबी अवधि में ₹11,000 का लाभ अर्जित करता है, जबकि एक ट्रेडर तीन धनात्मक और एक ऋणात्मक ट्रेड के बाद ₹2250 का शुद्ध लाभ अर्जित करता है।
ट्रेड करना बनाम निवेश करना: एक तुलना
कौन सी रणनीति बेहतर है?
परंपरागत रूप से निवेश और ट्रेडिंग के बीच के अंतर को व्यक्ति के व्यक्तित्व से जोड़ा गया है (तुलना अक्सर खरगोश और कछुए की कहानी से की जाती है)। हालाँकि, यह कहना कि कोई एक रणनीति सही है या दूसरे से बेहतर है, इसे कुछ ज्यादा ही सरल करके प्रस्तुत करना होगा। हर व्यक्ति के अलग-अलग लक्ष्य और अपेक्षाएँ होती हैं, और ऐसा कोई कारण नहीं है कि उनकी जोखिम सहने की क्षमता और रणनीति विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नहीं बदल सकती है।
सही ज्ञान से लैस व्यक्ति दोनों रणनीतियों का लाभ उठा सकता है। वह मजबूत स्टॉक का एक पोर्टफोलियो बना सकते हैं जो लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा, जबकि सक्रिय ट्रेडिंग के लिए फंड का एक अलग पूल अल्पकालिक लाभ प्रदान कर सकता है, जिसका उपयोग विविध खर्चों को वहन करने के लिए किया जा सकता है।
इक्विटी बाजारों के संदर्भ में निवेश करना और ट्रेड करना अक्सर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि, ये दो बहुत अलग दृष्टिकोण हैं - एक लाभ प्रदान करता है, दूसरा धन सृजन करता है। ऐसे:
आइए, ट्रेडर कौन होते है लगभग समान मूल्य के दो अलग-अलग स्टॉक की मदद से प्रत्येक दृष्टिकोण को समझते हैं।
परिदृश्य 1: ₹25 के मौजूदा बाजार मूल्य (CMP) वाले स्टॉक X को मौलिक रूप से मजबूत माना जाता है, जिसमें दीर्घकालिक वृद्धि की क्षमता है।
निवेशक: आज ₹25 की दर से X की 1000 यूनिट खरीदता है - 3 साल बाद इन शेयर को ₹36 की दर से बेच देता है।
परिदृश्य 2: ₹25 के CMP वाला स्टॉक Y आवर्ती उद्योग से संबंधित है, जो इस समय बढ़ रहा है।
ट्रेडर: Y की 1000 यूनिट ₹25 की दर से खरीदता है - इसे एक सप्ताह के भीतर ₹26 की दर से बेच देता है। एक महीने के बाद फिर से ₹29 की दर से समान संख्या में यूनिट खरीदता है और ₹30.5 की दर से बेच देता है। तीसरी बार ₹28.75 की दर से खरीदता है और ₹27 की दर से बेच देता है, और अंत में ₹28 की दर से खरीदता है और ₹29.5 की दर से बेच देता है।
इन दो अलग-अलग दृष्टिकोणों में, एक निवेशक लंबी अवधि में ₹11,000 का लाभ अर्जित करता है, जबकि एक ट्रेडर तीन धनात्मक और एक ऋणात्मक ट्रेड के बाद ₹2250 का शुद्ध लाभ अर्जित करता है।
ट्रेड करना बनाम निवेश करना: एक तुलना
कौन सी रणनीति बेहतर है?
परंपरागत रूप से निवेश और ट्रेडिंग के बीच के अंतर को व्यक्ति के व्यक्तित्व से जोड़ा गया है (तुलना अक्सर खरगोश और कछुए की कहानी से की जाती है)। हालाँकि, यह कहना कि कोई एक रणनीति सही है या दूसरे से बेहतर है, इसे कुछ ज्यादा ही सरल करके प्रस्तुत करना होगा। हर व्यक्ति के अलग-अलग लक्ष्य और अपेक्षाएँ होती हैं, और ऐसा कोई कारण नहीं है कि उनकी जोखिम सहने की क्षमता और रणनीति विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नहीं बदल सकती है।
सही ज्ञान से लैस व्यक्ति दोनों रणनीतियों का लाभ उठा सकता है। वह मजबूत स्टॉक का एक पोर्टफोलियो बना सकते हैं जो लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा, जबकि सक्रिय ट्रेडिंग के लिए फंड का एक अलग पूल अल्पकालिक लाभ प्रदान कर सकता है, जिसका उपयोग विविध खर्चों को वहन करने के लिए किया जा सकता है।
ITR Filing Apps: कौन-कौन से ऐप हैं, जिनसे आसानी से ITR फाइल कर सकते हैं ट्रेडर, जानिए
ITR Filing Apps: ट्रेडर्स और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले लोगों के लिए टैक्स फाइल करना आसान काम नहीं है. ये ऐप्स उन लोगों का मुश्किल काम को आसानी में निपटा सकती हैं, जो फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स (F&Os) में काम करते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated : December 29, 2021, 11:45 IST
नई दिल्ली. ITR Filing Apps: शेयर बाजार में काम करने वाले ट्रेडर्स और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले लोगों के लिए टैक्स फाइल करना आसान काम नहीं है. उन्हें आइटीआर फाइल करने के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCP) की स्क्रिप्ट वाइज रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है. किस शेयर में कितना पैसा कमाया और किस म्यूच्यूअल फंड में कमाई की, ये सब विस्तार से बताना होता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCP) के लिए पूरे वित्त वर्ष में की गई ट्रेडिंग में 112ए शेड्यूल के तहत जानकारी भरनी होती है. इसके अवाला जो लोग फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स (futures and options (F&Os)) में काम करते हैं उन्हें तो और भी ज्यादा मुश्किल ITR-3 या ITR-4 में जानकारी देनी होती है. और यकीन कीजिए ऐसा करना आसान काम नहीं है.
ऑटोमेटिकली हो जाएगा काम
हालांकि रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट्स (RTAs) से सभी इक्विटी ट्रांजेक्शन्स के लिए एक कॉन्सॉलिडेटड रिपोर्ट प्राप्त करना आसान है, लेकिन हर स्क्रिप्ट की बिलकुल सही जानकारी भरना कठिन काम होता है. लेकिन, क्या हो अगर आपके ब्रोकर की तरफ सारी जानकारी ITR फॉर्म में ऑटोमेटिकली भर दी जाए तो. कुछ बडे ब्रोकरेज फर्म्स जैसे कि एक्सिस ट्रेडर कौन होते है सिक्योरिटीज़ (Axis Securities), जेरोधा (Zerodha) और आईआईएफएल सिक्योरिटीज़ (IIFL Securities) ऐसा कर रही हैं. वे न्यू-एज़ ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग पोर्टल के साथ पार्टनरशिप में ऐसा कर पा रही हैं.
नए ट्रेडर को होती है परेशानी
एक्सिस सिक्योरिटीज़ (Axis Securities) के प्रॉडक्ट एंड मार्केटिंग हेड वामसी कृष्णा (Vamsi Krishna) का कहना है कि पिछले कुछ समय से बहुत सारे नए लोग ट्रेडिंग की दुनिया में आए हैं. चूंकि उनकी शुरुआत ही है तो वे अच्छे से कैलकुलेट और रिपोर्ट कर पाने में कुशल नहीं है, खासकर F&O की आय या कैपिटल गेन और लॉस. Digitax (एक्सिस सिक्योरिटीज़ का फ्लैगशिप टैक्स फाइलिंग प्रॉडक्ट) लाभ और हानि (Gains or Losses) को अपने आप कैलकुलेट कर लेता है. कैलकुलेट करने के बाद ये रिपोर्ट निकालता है और Quicko के टैक्स फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड कर देता है.
कितना है इन ऐप्स का चार्ज
कृष्णा ने कहा, “जिन निवेशकों ने शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन किया है, उन्हें डिजीटैक्स के साथ टैक्स फाइलिंग के लिए ₹450 का भुगतान करना होगा, जबकि इंट्रा-डे और एफएंडओ ट्रेडर्स के लिए चार्ज ट्रेडर कौन होते है ₹899 है.”
आईआईएफएल सिक्योरिटीज (IIFL Securities) में डीमैट खाते वाले निवेशकों को यह सुविधा मुफ्त में दे रही है. आईआईएफएल सिक्योरिटीज के चीफ डिजिटल ऑफिसर नंदकिशोर पुरोहित ने कहा, “कई ब्रोकरों के साथ डीमैट खातों वाले उपयोगकर्ताओं को Quicko के पेड प्लान लेने की जरूरत है.”
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