ट्रेडिंग फॉरेक्स के लाभ

ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है

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2- इसके पूर्व एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को 34-सूत्रीय कार्य योजना सौंपी थी। इसमें से ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है पाकिस्‍तान सरकार ने अब तक 30 पर ही कार्रवाई की है। बाकी के चार अहम ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है बिंदुओं को उसने ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है। पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में उसके ढुलमुल रवैये के कारण यह स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है। मालूम हो कि एफएटीएफ ने गत वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्‍ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना दी थी और इस पर सख्‍ती से अमल करने को कहा था।

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FATF and Pakistan: सरल भाषा में जानिए क्‍या है ग्रे लिस्‍ट और ब्‍लैक लिस्‍ट, आखिर इससे क्‍यों चिंतित है पाकिस्‍तान? एक्‍सपर्ट व्‍यू

सरल भाषा में जानिए क्‍या है ग्रे लिस्‍ट और ब्‍लैक लिस्‍ट, आखिर इससे क्‍यों चिंतित है पाकिस्‍तान। फाइल फोटो।

पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अव‍िश्‍वास प्रस्‍ताव का संकट है उधर दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्‍वास लाने पर अड़ा है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अव‍िश्‍वास प्रस्‍ताव का संकट है, तो दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने पर अड़ा है। इससे इमरान सरकार को खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। उधर, इस महीने फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की प्‍लेनरी और वर्किंग की बैठक से पहले पाकिस्‍तान के ब्‍लैक लिस्‍ट में खिसकने की संभावना बढ़ गई है। बता दें कि पाकिस्‍तान पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट में शामिल है। आइए जानते हैं कि ग्रे लिस्‍ट के बाद पाकिस्‍तान के ब्‍लैक लिस्‍ट की संभावना क्‍यों बढ़ गई। इसके पीछे क्‍या है बड़े कारण। एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्‍तान के पास क्‍या है विकल्‍प।

इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी, ग्रे लिस्‍ट में शामिल होना तय, ब्‍लैक लिस्‍ट का खतरा, जानें-एक्‍सपर्ट व्‍यू

इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी, ग्रे लिस्‍ट में शामिल होना तय, ब्‍लैक लिस्‍ट का खतरा।

FATF की ग्रे लिस्‍ट से निकलने को बेचैन पाकिस्‍तान को अभी और इंतजार करना होगा। आखिर क्‍या है ग्रे लिस्‍ट। पाकिस्‍तान इस लिस्‍ट से बाहर आने को क्‍यों है बेचैन। ग्रे लिस्‍ट में रहने से पाक ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है को क्‍या है नुकसान।

नई दिल्‍ली/इस्‍लामाबाद, आनलाइन डेस्‍क। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्‍ट से निकलने को बेचैन पाकिस्‍तान को अभी और इंतजार करना होगा। यह माना जा रहा है कि पाकिस्‍तान को अगले वर्ष अप्रैल तक ग्रे ल‍िस्‍ट में रखा जाएगा। गौरतलब है कि मंगलवार से शुरू हुई एफएटीएफ की बैठक गुरुवार तक जारी रहेगी। इस बैठक पर भारत की भी नजर है। आखिर क्‍या है ग्रे लिस्‍ट। पाकिस्‍तान इस लिस्‍ट से बाहर आने को क्‍यों है बेचैन। ग्रे लिस्‍ट में रहने से पाक को क्‍या है नुकसान।

LIC IPO Listing Day Strategy: एलआईसी की लिस्टिंग पर क्या करें निवेशक? खरीदें या बेचकर निकल जाएं?

LIC IPO Listing Day Strategy: एलआईसी की लिस्टिंग पर क्या करें निवेशक? खरीदें या बेचकर निकल जाएं?

एलआईसी के शेयरों का अलॉटमेंट फाइनल हो चुका है और लिस्टिंग अब अगले हफ्ते मंगलवार को होगी. (Image- Reuters)

LIC Listing Day Strategy: देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी (LIC) के शेयरों का अलॉटमेंट फाइनल हो चुका है और लिस्टिंग मंगलवार, 17 मई को होगी. 6 दिनों तक खुले रहे इस इश्यू को निवेशकों ने 2.95 गुना सब्सक्राइब किया. लेकिन अब निवेशक काफी असमंजस में हैं कि लिस्टिंग के दिन क्या रणनीति अपनाई जाए. शुक्रवार को ग्रे मार्केट में एलआईसी का भाव 949 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले 9 रुपये के डिस्काउंट यानी 940 रुपये पर रहा, जिससे निवेशकों की उलझन और बढ़ गई है.

LIC के शेयरों की लिस्टिंग पर क्या हो रणनीति?

  • एक्सिस सिक्योरिटीज के एनालिस्ट्स का मानना है कि बाजार में तेज उतार-चढ़ाव का असर एलआईसी की लिस्टिंग पर दिख सकता है. एक्सिस सिक्योरिटीज के मुताबिक एलआईसी के शेयर डिस्काउंट पर लिस्ट हो सकते हैं और लिस्टिंग गेन मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. हालांकि पॉलिसीहोल्डर्स और खुदरा निवेशकों को शेयर डिस्काउंट पर मिले हैं तो उन्हें कुछ लिस्टिंग गेन मिल सकता है.
  • निवेश सलाहकार संदीप सभरवाल का मानना है कि एलआईसी की लिस्टिंग इश्यू प्राइस के मुकाबले 5-10 फीसदी प्रीमियम पर हो सकती है. सभरवाल के मुताबिक अगर एलआईसी के शेयर इश्यू प्राइस के आस-पास लिस्ट होते हैं तो यह लांग टर्म निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर मौका हो सकता है.
  • आईपीओ एक्सपर्ट आदित्य कोंडवार के मुताबिक एलआईसी के आईपीओ के लेकर पॉजिटिव और निगेटिव दोनों है. ऐसे में लिस्टिंग के बाद कारोबारी माहौल कैसा रहता है, उसके हिसाब से ही आगे की रणनीति बनाएं.
  • कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च के एनालिस्ट अखिलेश जाट का मानना है कि अगर मार्केट वोलेटाइल बना रहता है तो एलआईसी के शेयर डिस्काउंट भाव पर लिस्ट हो सकते हैं. उन्होंने निवेशकों को इसमें लांग टर्म के लिए निवेश की सलाह दी है क्योंकि इंश्योरेंस कारोबार की प्रकृति लांग टर्म है.

देश का सबसे बड़ा आईपीओ

एलआईसी का 21 हजार करोड़ रुपये का इश्यू देश का सबसे बड़ा आईपीओ है. इससे पहले यह रिकॉर्ड पेटीएम के नाम पर था जिसने पिछले साल 2021 में आईपीओ के जरिए 18300 करोड़ रुपये जुटाए थे. एलआईसी के आईपीओ के जरिए सरकार ने अपनी हिस्सेदारी इसमें 3.5 फीसदी कम की है.

(स्टोरी में दिए गए स्टॉक रिकमंडेशन संबंधित रिसर्च एनालिस्ट व ब्रोकरेज फर्म के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. पूंजी ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)

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ग्रे मार्केट पर खरीदने के फायदे

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इस तरह से तकनीक खरीदने के दो प्रमुख लाभ हैं: मूल्य और उपलब्धता।

कोई भी यह तर्क नहीं दे सकता था कि सस्ता होने के लिए स्मार्टफ़ोन या टैबलेट प्राप्त करना एक बुरी बात है, और अक्सर इन उत्पादों को महत्वपूर्ण छूट पर खरीदा जा सकता है।

इसका कारण बिक्री के इच्छित क्षेत्र के लिए नीचे आता है। यूएस और यूके में बेचे जाने वाले उत्पाद विनिमय दरों के कारक होने पर भी अलग-अलग कीमतों पर दिखाई देते हैं क्योंकि इन देशों में अलग-अलग बिक्री कर कानून हैं।

यूके में टेक आधारित उत्पाद उत्पाद के कुल मूल्य के 20% पर मूल्य वर्धित कर के अधीन हैं। दूसरी ओर, भारत में वैट है जो 5% -15% से कहीं भी क्षेत्र में भिन्न होता है।

यदि आप ग्रे मार्केट से खरीदारी करते हैं तो क्या देखना है

नॉक-ऑफ उत्पाद ऑनलाइन ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है ग्राहकों के लिए एक समस्या है। कुछ खुदरा विक्रेताओं, जैसे कि कूलिकूल, यह विश्वास दिलाता है कि उनके सभी उत्पाद 100% प्रामाणिक हैं, लेकिन अक्सर नकली भी उत्सुक प्रेक्षक को चकमा दे सकते हैं।

अक्सर आप यह नहीं बता पाएंगे कि उत्पाद तब तक नकली है जब तक आप इसे प्राप्त नहीं करते हैं, और ग्रे मार्केट खुदरा विक्रेताओं की वापसी नीति के साथ लगभग गैर-मौजूद है, यह एक महंगी गलती हो सकती है।

अनौपचारिक खुदरा विक्रेताओं से खरीदारी करते समय आपको कई चीजें देखनी चाहिए।

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कीमत एक बड़ी है। जबकि ऑनलाइन खरीदने का मुख्य लाभ कम कीमत पर आइटम प्राप्त करने की क्षमता है, आप उन सौदों पर ठोकर खा सकते हैं जो सच होना बहुत अच्छा लगता है। सुनिश्चित करें कि आप कुछ सौदों को देखते हुए मूल्य निर्धारण की तुलना करते हैं।

सुरक्षित और जिम्मेदार ऑनलाइन शॉपिंग

अंततः ग्रे मार्केट वेबसाइटें अमेजन जैसी मुख्यधारा की साइटों के समान विश्वसनीय हैं। यदि आप सतर्क हैं और पहले से कुछ पढ़ रहे हैं, तो आप उच्च स्तरीय तकनीक पर एक अविश्वसनीय सौदा प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

उत्पादों को आम तौर पर अच्छी तरह से पैक किया जाता है, और कुछ ग्राहकों को आयात शुल्क के साथ संघर्ष करना होगा, अधिकांश साइटें मुफ्त शिपिंग प्रदान करती हैं।

हालांकि, यदि आप अच्छे सौदे और कम जोखिम की तलाश में हैं, तो कई निर्माता सीधे अपनी वेबसाइट से बेचते हैं। उदाहरण के लिए, चीनी स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस £ 200- £ 300 के लिए कस्टम एंड्रॉइड ओएस के साथ उच्च अंत वाले स्मार्टफोन पेश करती है।

जब तक आप कुछ शोध करते हैं, ग्रे मार्केट सस्ती तकनीकी खरीद के लिए एक अमूल्य उपकरण हो सकता है। यदि संदेह में है, तो एक विशेषज्ञ से परामर्श करें। यह एक बड़ी खरीद करने से पहले आंखों की दूसरी जोड़ी पाने के ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है लिए चोट नहीं करता है।

FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है मॉरिशस, जानिये भारत में निवेश प्रवाह पर क्या होगा असर

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 19, 2021 16:18 IST

मॉरिशस की FATF की ग्रे. - India TV Hindi

Photo:PTI

मॉरिशस की FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने की उम्मीद

नई दिल्ली। भारत में विदेशी निवेश के एक प्रमुख स्रोत देश मॉरिशस इस महीने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से राहत पा सकता है। दरअसल एफएटीएफ मॉरिशस की रीरेटिंग पर विचार कर रहा है, और सूत्रों की मानें तो ग्रे लिस्ट में रहने के दौरान मॉरिशस के द्वारा कानूनी , रेग्युलेटरी, ऑपरेशंस से जुड़े बदलावों को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद अब एफएटीएफ मॉरिशस को ग्रे लिस्ट से निकाल सकता है। अगर ऐसा होता है तो मॉरिशस एक बार फिर दुनिया भर के निवेशकों के लिये निवेश का बड़ा माध्यम बन सकता है।

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