भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.56 अरब डॉलर बढ़ा, एफसीए में भी 5.77 अरब डॉलर का इजाफा
LagatarDesk : भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर तेजी आयी है. 28 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 561.08 अरब डॉलर पर पंहुच गया. पिछले कुछ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दिनों से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का रुख देखा गया. इससे पहले 21 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में भारत का कोष 3.85 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर पर आ गया. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था. आरबीआई ने शुक्रवार को आंकड़ा जारी कर इस बात की जानकारी दी. (पढ़ें, आर्मी की जिस जमीन को लेकर ED ने की छापेमारी,जानिए उसकी हकीकत)
3 सितंबर 2021 को ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया है. 7 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 10वें सप्ताह में पहली बार अप्रत्याशित रूप से बढ़ा था. भारत का कोष 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. वहीं 30 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जबकि 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था.
470.भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 84 अरब डॉलर पहुंच गयी फॉरेन करेंसी एसेट्स
विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. अगर एफसीए बढ़ती है तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़त देखने को मिलती है. वहीं अगर एफसीए घटती है तो देश के भंडार में भी कमी आती है. हालांकि रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 5.77 अरब डॉलर बढ़कर 470.84 अरब डॉलर पर पहुंच गयी. इससे पहले 21 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 3.59 अरब डॉलर घटकर 465.08 अरब डॉलर पर आ गया था.
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55.6 करोड़ डॉलर बढ़ा गोल्ड रिजर्व
आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व में भी इजाफा हुआ है. 28 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में स्वर्ण भंडार 55.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 37.762 अरब डॉलर हो गया. वहीं आलोच्य सप्ताह में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट 18.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.625 अरब डॉलर हो गया. जबकि आईएमएफ में रखा देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 4.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.847 अरब पर पहुंच गया.
कोरोना काल में इन पांच कारणों से बढ़ी भारत की विदेशी दौलत, आखिर क्या है इसका राज
नई दिल्ली। दुनिया की किसी भी इकोनॉमी में विदेशी मुद्रा भंडार एक अहम स्थान होता है। इस दौलत से किसी भी देश को विदेशों से सामान मंगाने में काफी आसानी होती है। साथ ही आप अच्छी इकोनॉमी में गिने जाते हैं। अगर बात भारत की करें तो मौजूदा समय में विदेशी मुद्रा भंडार अपने चरम पर है। वो भी तब जब देश कोरोना वायरस के मामले में दूसरे नंबर है। जीडीपी के आंकड़े माइनस में है। ताजा आंकड़ों के अनुसार देश के पास मौजूदा समय में 575 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। जिसमें लगातार दो महीनों से इजाफा हो रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत जून से ही शुरू हो गई थी, जब देश के इस भंडार ने 500 अरब डॉलर का आंकड़ा छुआ था। खास बात तो ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष में यह इजाफा 163 बिलियन डॉलर का हो चुका है। सवाल ये है कि आखिर ऐसे कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कोरोना काल में आसमान पर पहुंच गया। आइए आपको भी बताते हैं।
पहले बात करते हैं विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़ों की
- देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार आठवें सप्ताह तेजी दर्ज की गई।
- 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.52 अरब डॉलर बढ़कर रिकॉर्ड 575.29 अरब डॉलर हो गया।
- मौजूदा वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार में 163 अरब डॉलर का इजाफा हो चुका है।
- जून के महीने में विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार कर दुनिया में तीसरे नंबर पहुंचा था।
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 2.83 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 533.10 अरब डॉलर पर पहुंचा।
- स्वर्ण भंडार हालांकि 33.90 करोड़ डॉलर घटकर 36.01 अरब डॉलर हो गया।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 1.90 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.68 अरब डॉलर हो गई।
- विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर बढ़कर 1.49 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
अक्टूबर से लगातार हो रहा है विदेश मुद्रा भंडार में इजाफा
समाप्त सप्ताह की तारीख | इजाफा ( अरब डॉलर में ) | कुल विदेशी मुद्रा भंडार ( अरब डॉलर में ) |
20 नवंबर | 2.52 | 575.29 |
13 नवंबर | 4.28 | 572.77 |
06 नवंबर | 8 | 568.49 |
30 अक्टूबर | 18.3 | 560.71 |
23 अक्टूबर | 5.41 | 560.53 |
16 अक्टूबर | 3.61 | 555.12 |
09 भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर | 5.87 | 551.51 |
02 अक्टूबर | 3.62 | 545.64 |
इन कारणों से बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार
सवाल ये है कि आखिर देश में कोरोना काल के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा कैसे? जब इस बारे में ऐनालिसिस किया गया तो समझ आया कि लॉकडाउन के बीच भारत का क्रूड ऑयल इंपोर्ट बिल, गोल्ड इंपोर्ट बिल, इडिबल इंपोर्ट बिल, मई से लेकर अब तक विदेशी निवेशकों का भारत में रुझान और सबसे अहम बात रिलायंस की विदेशियों कंपनियों के साथ करीब दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की डील जैसे कारण रहे जिन्होंने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को सपोर्ट किया।
1. भारत का कम हुआ क्रूड ऑयल इंपोर्ट बिल
कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भारत सहित पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल की खपत कम हुई, जिसकी वजह से कोरोना काल में क्रूड ऑयल के दाम औसतन 30 से 40डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहे। जिसकी वजह से भारत का क्रूड ऑयल इंपोर्ट बिल काफी कम हो गया। जानकारों की मानें तो जब क्रूड ऑयल के दाम में एक डॉलर कम होता है तो भारत के क्रूड ऑयल इंपोर्ट बिल में 2900 करोड़ रुपए की कटौती हो जाती है। इस दौरान क्रूड ऑयल के दाम औसतन 50 फीसदी से ज्यादा कम हुए। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ऑयल मिनिस्ट्री के प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की रिपोर्ट की मानें तो भारत का इस साल का ऑयल इंपोर्ट बिल आधा रह सकता है।
यह बात किसी से छिपी नहीं कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़े आयातक देशों में से एक है। इसके लिए भारत करोड़ों की विदेशी मुद्रा भंडार खर्च करता है। लेकिन कोरोना काल में सोने के दाम में इजाफा, गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड कम होना और गोल्ड इंवेस्टमेंट कम होने से भारत ने कम आयात किया। आंकड़ों की मानें तो वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार 1995 के बाद भारत में गोल्ड गोल्ड की डिमांड सबसे कम है। जिसकी वजह से अप्रैल के महीने में भारत का गोल्ड इंपोर्ट 50 किलो था, जबकि पिछले साल समान महीने में 101 टन से ज्यादा था। वैसे मौजूदा समय में गोल्ड इंपोर्ट में हल्का सुधार देखने को मिला है।
3. इडिबल ऑयल इंपोर्ट हुआ कम
वहीं भारत सिर्फ क्रूड ऑयल और सोने का ही बाहर से आयात नहीं करता है, बल्कि खाने का तेल, जिसे इडिबल ऑयल कहते हैं उसका इंपोर्ट भी काफी होता है। लेकिन बीते 9 महीने से भारत द्वारा इसका आयात काफी कम कर रहा है। पहला कारण तो भारत सरकार द्वारा इस पर लगातार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ी रही। वहीं लॉकडाउन के कारण भारत बाहर के देशों से कुछ नहीं मंगा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2020 में इडिबल ऑयल इंपोर्ट में 32 फीसदी से ज्यादा की गिरावट भारत का विदेशी मुद्रा भंडार देखने को मिली थी। जिसकी वजह से भी भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की बचत हुई है। वैसे बीते सप्ताह सरकार की ओर क्रूड पाल्म ऑयल से इंपोर्ट ड्यूटी को 10 फीसदी कम किया गया है।
4. विदेशी निवेशकों का बढ़ा रुझान
वहीं दूसरी ओर मौजूदा वित्त वर्ष में विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय शेयर बाजार में बढ़ा है। अगर बात नवंबर के महीने की करें तो 20 नवंबर तक विदेशी निवेशकों की ओर से 50 हजार करोड़ रुपए का विदेशी निवेश किया है। जिसने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का प्रयास किया। वहीं दूसरी ओर मौजूदा वित्त वर्ष में विदेशी निवेशकों का 30.40 बिलियन डॉलर लग चुका है। जिसने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का प्रयास किया है।
5. रिलायंस जियो और रिटेल डील भी बना अहम कारण
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में अहम योगदान जियो प्लेटफॉर्म्स और रिलायंस रिटेल में विदेशी निवेश का भी काफी हाथ रहा है। दोनों ही सब्सिडीयरीज में रिलायंस को 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा मिले हैं। जियो में जहां फेसबुक, सिल्वर लेक, केकेआर अटलांटिक, मुबाडला, विस्टा जैसी बड़ी कंपनियों ने हिस्सेदारी खरीदी है। वहीं रिटेल वेंचर में भी दुनिया की बड़ी कंपनियों की ओर से करीब 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रुपाया लगाया है। जिसका असर भी विदेशी मुद्रा भंडार में देखने को मिला है।
भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कौन संभालता है?
Key Points
- भारत में, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 में रिजर्व बैंक के लिए विदेशी भंडार के संरक्षक के रूप में कार्य करने और परिभाषित उद्देश्यों के साथ भंडार का प्रबंधन करने के लिए सक्षम प्रावधान शामिल हैं।
- विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक होने की शक्तियाँ, प्रथम दृष्टया, अधिनियम की प्रस्तावना में निहित हैं।
- 1946 में, भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का सदस्य बन गया और उस समय से RBI के पास IMF के अन्य सभी सदस्य देशों के साथ निश्चित विनिमय दरों को बनाए रखने की जिम्मेदारी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्राएं, स्वर्ण भंडार, एसडीआर, और आईएमएफ के पास जमा, ट्रेजरी बिल, बांड और अन्य सरकारी प्रतिभूतियों जैसी संपत्तियां हैं।
- अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में होते हैं, जबकि चीन दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा आरक्षित धारक है।
Additional Information
- SBI (भारतीय स्टेट बैंक) की स्थापना गोरवाला समिति की सलाह पर की गई थी।
- 1952 में, ए डी गोर्वला की अगुवाई वाली एक समिति ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण और भारतीय स्टेट बैंक की तरह इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का नाम बदलने की सिफारिश की।
- 1 जुलाई 1955 को, इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय स्टेट बैंक के रूप में नामित किया गया था (चूंकि आरबीआई एसबीआई में नियंत्रण हिस्सेदारी का मालिक है)।
- SBI भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक है। SBI एकमात्र बैंक है जिसकी भारत में सबसे प्रमुख शाखाएँ हैं।
- SBI का मुख्यालय मुंबई में है।
- वित्त मंत्रालय भारत सरकार में है, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चिंतित है। भारत के कोष विभाग के रूप में कार्य करना।
- आर के षणमुखम चेट्टी स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे।
- इसका गठन 29 अक्टूबर 1946 को हुआ था।
- वर्तमान मंत्री निर्मला सीतारमण हैं।
- एक्ज़िम बैंक की स्थापना भारत सरकार द्वारा निर्यात-आयात बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1981 के तहत निर्यात ऋण के एक संरक्षक के रूप में की गई थी, जो वैश्विक निर्यात ऋण एजेंसियों को दर्शाता है।
- एक्ज़िम बैंक उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से उद्योगों और एसएमई के लिए विकास इंजन के रूप में कार्य करता है।
- इसमें प्रौद्योगिकी का आयात और निर्यात उत्पाद विकास, निर्यात उत्पादन, निर्यात विपणन, पूर्व-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट, और विदेशी निवेश शामिल हैं।
- भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) की स्थापना 1982 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत के विदेशी व्यापार के वित्तपोषण, सुविधा और प्रचार के लिए की गई थी।
- श्री डेविड रसकिन्हा एक्जिम बैंक के प्रबंध निदेशक हैं।
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Last updated on Sep 21, 2022
Uttar Pradesh Public Service Commission (UPPSC) has released the final results for the UPPSC PCS 2021 cycle. The interview was conducted between 21st July to 5th August 2022. Total 627 candidates have been selcetdThe Mains exam is scheduled to be conducted from 27th September to 1st October. The exam will be conducted in the morning shift and evening shifts. The morning भारत का विदेशी मुद्रा भंडार shift will be held from 9:30 AM to 12:30 PM and the evening shift will be scheduled from 2:00 PM to 5:00 PM. Candidates can refer to UPPCS previous years' papers to improve their preparation for the exam.
किस-किस काम आता है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, अब कैसे ये 2 साल के निचले स्तर पर आया
Foreign reserves affect the India economy: चीन के पास सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि विदेशी भंडार अच्छा होने से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा रहता है कि देश की आर्थिक नीतिया काफी बेहतर है. इससे करेंसी में भी मजबूती आती है.
(1) देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का रुख बरकरार है. 21 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में यह 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर पर आ गया. यह विदेशी मुद्रा भंडार का दो साल का न्यूनतम स्तर है. इससे पहले वाले हफ्ते में भंडार 4.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर गिरकर भंडार घटकर 528.37 बिलियन अमेरिकी 524.52 डॉलर पर आ गया था. इसमें कई महीने से कमी आ रही है. आपको बता दें कि अक्टूबर 2021 में, देश की विदेशी मुद्रा 645 बिलियन अमेरिकी डालर के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
(2) विदेशी मुद्रा भंडार का क्या होता है? चीन के पास सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि विदेशी भंडार अच्छा होने से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा रहता है कि देश की आर्थिक नीतिया काफी बेहतर है. इससे करेंसी में भी मजबूती आती है.
(3) विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई रकम या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपने कर्ज और खर्चों का भुगतान इसके जरिए किया जा सकें. विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक करेंसी में रखा जाता है. ज्यादातर डॉलर और कुछ हद तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है. कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म विदेशी सरकारी बॉन्ड्स शामिल होनी चाहिए. हालांकि, सोने के भंडार, एसडीआर, और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता हैं.
(4) भारत का विदेशी विदेशी मुद्रा भंडार? आरबीआई एक्ट 1934 विदेशी मुद्रा भंडार को रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है. देश का 64 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में ट्रेजरी बिल आदि के रूप में होता है. यह मुख्य रूप से अमेरिका में रखा होता है.
(5) आरबीआई के डाटा के मुताबिक, मौजूदा समय में 28 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक और 7.4% कमर्शियल बैंक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रखा है.मार्च 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार में 653.01 टन सोना था. इसमें से 360.71 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की सुरक्षित निगरानी में रखा है. बचा हुआ सोना देश में ही रखा है.डॉलर की वैल्यू में विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2019 के 6.14 फीसदी से बढ़कर मार्च 2020 में 6.40% पर पहुंच गई है.
Foreign Exchange Reserve: घटता जा रहा विदेशी मुद्रा का खजाना, दो साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा
डीएनए हिंदी: भारत में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) लगातार कम होता जा रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. 21 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा कोष (Forex Reserve) 524.52 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. इससे पहले के हफ्ते की तुलना में इस कोष में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी आ गई है.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 14 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा कोष 528.367 बिलियन डॉलर था. आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश के पास मौजूद विदेशी मुद्रा में 3.59 बिलियन डॉलर भारत का विदेशी मुद्रा भंडार की कमी आई है और अब यह 465.075 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई है. वहीं, देश के गोल्ड रिजर्व में भी 247 मिलियन डॉलर की कमी आई है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और अब यह कुल 37.206 बिलियन डॉलर पहुंच गया है.
जुलाई 2020 के बाद से सबसे निचले स्तर पर है खजाना
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के पास मौजूद भारत की स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) की वैल्यू में इजाफा हुआ है. अब यह 7 मिलियन डॉलर बढ़कर कुल 17.440 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. आपको बता दें कि ये आंकड़े जुलाई 2020 के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं. इनका स्तर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पर भी पड़ रहा है.
दरअसल, महंगाई की रफ्तार और आयात में बढ़ते खर्च की वजह से देश को विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करनी पड़ रही है. बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा कोष में लगातार कमी आई है. यही कारण है कि अब तक के इतिहास में रुपया एक डॉलर के बदले 83 रुपये तक पहुंच गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और यूक्रेन का युद्ध भी इसमें अहम कारक है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा कोष में लगभग 100 बिलियन डॉलर की कमी आ गई है.
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