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दो दिन की तेज गिरावट के बाद संभला रुपया, सुधार बाद भी 77 के स्तर के ऊपर घरेलू करंसी

बाजार के जानकारों ने अनुमान दिया है कि रुपये में गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक हस्तक्षेप कर सकता है. वहीं ऊंचे स्तरों पर पहुंचे डॉलर इंडेक्स में प्रॉफिट बुकिंग की संभावना भी जताई है जिससे रुपये को कुछ सहारा मिल सकता है.

दो दिन की तेज गिरावट के बाद संभला रुपया, सुधार बाद भी 77 के स्तर के ऊपर घरेलू करंसी

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: May 10, 2022 | 9:42 PM

डॉलर के मुकाबले रुपया (Dollar vs Rupee) आज अपने रिकॉर्ड निचले स्तरों से सुधरा है. घरेलू करंसी (Rupee) में बीते दो दिनों से तेज गिरावट देखने को मिली है और रुपया सोमवार को अपने अब तक के सबसे निचले स्तरों तक पहुंचा था. मंगलवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपये में 10 पैसे का सुधार देखने को मिला है और रुपया 77.34 के स्तर पर बंद हुआ. रुपये में रिकवरी कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में नरमी और डॉलर के मुकाबले दूसरी करंसी में सुधार की वजह से दर्ज हुआ. वहीं करंसी मार्केट के जानकारों की माने तो रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपये को संभालने में मदद मिली है. हालांकि शेयर बाजार में नरमी और विदेशी फंड्स के लगातार बाहर निकलने से रुपये में बढ़त सीमित ही रही.

कैसा रहा आज का कारोबार

करंसी मार्केट में आज डॉलर समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए के मुकाबले रुपया 77.27 के स्तर पर खुला और कारोबार के दौरान 77.2 से 77.45 के स्तर के बीत रहा. कारोबार के अंत में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.34 के स्तर पर बंद हुआ जो कि पिछले कारोबारी सत्र के बंद स्तर से 10 पैसे मजबूत है. सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में 54 पैसे की तेज गिरावट देखने को मिली थी. आज रुपया 77.44 प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तरों पर पहुंच गया. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार ने कहा कि क्षेत्रीय करंसी में मजूबती जोखिम वाले एसेट्स में बढ़त का रुपये के आज के कारोबार पर असर देखने को मिला है. पिछले कुछ समय में बिकवाली के बाद से जोखिम से जुड़े सेंटीमेंट्स के स्थिर होने का घरेलू करंसी को फायदा मिल सकता है. हालांकि कच्चे तेल में उछाल और विदेशी फंड्स के द्वारा रकम की निकासी से रुपये पर प्रतिकूस असर देखने को मिलेगा. फेडरल रिजर्व के द्वारा नीतियों में सख्ती, ग्रोथ को लेकर चिंताएं और अनिश्चितता भरे माहौल में डॉलर को फायदा मिल रहा है. हालांकि डॉलर इंडेक्स में छोटी अवधि प्रॉफिट बुकिंग से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि डॉलर इंडेक्स को 104 समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए के स्तर पर प्रतिरोध मिल रहा है. डॉलर इंडेक्स आज 0.03 प्रतिशत की बढ़त के साथ 103.68 के स्तर पर पहुंच गया.

कहां पहुंच सकता है रुपया

मोतीलाल ओसवाल के फॉरेक्स एनालिस्ट गौरांग सौमेया ने अनुमान दिया है कि रुपये में गिरावट पर रिजर्व बैंक रुपये को स्थिर करने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है. छोटी अवधि में डॉलर रुपये की एक्सचेंज दरें बढ़त के रूख को बनाए रखते हुए 77 से 77.6 के दायरे में बनी रह सकती है. एलकेपी सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के मुताबिक रुपया इस हफ्ते 77.2 से 77.8 के बीच बना रह सकता है. वहीं मेहता इक्विटी के वीपी राहुल कालांतरी के मुताबिक डॉलर रुपया फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट गिरावट आने पर 78 का स्तर तोड़ सकता है. उनके मुताबिक फेडरल रिजर्व के संकेतों के साथ साथ विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और व्यापार घाटा बढ़ने से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है.

SWIFT System Explained: क्या है स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम? जानिए कैसे ये बर्बाद कर सकता है रूस की अर्थव्यवस्था

SWIFT Bank Explained

रूस-यूक्रेन युद्ध एक गंभीर मोड़ ले चुका है। ये युद्ध आने वाले समय में विश्व को एक नए सिरे से परिभाषित करने का काम करेगा। रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव की घेराबंदी करने में लगी हुई है। हालांकि, यूक्रेन की तरफ से रूस को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ये युद्ध हर समय एक नया मोड़ लेता जा रहा है। रूस की इस सैन्य कार्रवाई के बाद यूनाइटेड किंगडम बड़े स्तर पर रूस को स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से बाहर निकालने की अगुवाई कर रहा है। इसके अलावा यूक्रेन समेत कई पश्चिमी देश इस बात का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं कि रूस को स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से बाहर किया जाना चाहिए। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते रूस के कुछ बैंकों को स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से बाहर निकाल दिया गया है। इसी वजह से रूसी मुद्रा रूबल में एक बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। हालांकि, अभी रूस को पूरी तरह से स्विफ्ट बैंक प्रणाली से बाहर नहीं निकाला गया है। अगर रूस को स्विफ्ट बैंक से बाहर निकाला जाता है, तो ये उसके ऊपर एक फाइनेंशियल न्यूक्लियर अटैक होगा, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो सकती है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि क्या है स्विफ्ट बैंक और इससे बाहर निकाले जाने पर रूस की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

SWIFT Bank Explained

क्या है स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली

स्विफ्ट यानी सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन एक मैसेजिंग नेटवर्क है, जो कि बैंकों को एक खास तरह के कोड फॉर्म में मैसेज देता है। इससे इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन में होने वाली त्रुटि काफी कम हो जाती है।

SWIFT Bank Explained

स्विफ्ट सिस्टम की शुरुआत साल 1977 में हुई थी। इस बैंकिंग प्रणाली में 200 से भी अधिक देश जुड़े हुए हैं। स्विफ्ट का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में है। आज दुनिया भर में 11 हजार से भी ज्यादा बैंक और संस्थान स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हुए हैं। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते इसे ग्लोबल ट्रांजैक्शन का व्हाट्सएप कहा जाता है। स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली ही ग्लोबल ट्रांजैक्शन को मैनेज करने का काम करती है।

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स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से रूस को बाहर निकालने पर क्या होगा असर?

अगर रूस को स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से बाहर निकाला जाता है, तो रूस की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो सकती है। स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से बाहर निकाले जाने के बाद रूस का 798 बिलियन डॉलर का व्यापार सीधे तौर पर प्रभावित होगा। इसका सीधा असर रूस की जीडीपी के 46.8 फीसदी हिस्से पर देखने को मिलेगा। इसके अलावा रूस के बैंक 70 फीसदी विदेशी मुद्रा का लेन-देन स्विफ्ट के जरिए ही करते हैं। ऐसे में स्विफ्ट से रूस को बाहर निकाला जाना उसकी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित करने का काम करेगा।

क्या समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए है खेती की जीएम तकनीक, जिसके जरिए सरसों की फसल उगाने की मिली मंजूरी

जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दे दी है. यानी की अब सरसों की खेती जेनेटिकली मॉडिफाइड तकनीक से होगी. जीएम सरसों की पैदावार में लागत कम लगेगी और उपज ज्यादा होगी.

सरसों

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gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 27 अक्टूबर 2022, 3:34 PM IST)

किफायती खेती का रास्ता साफ

2010 में बीटी बैंगन प्रतिबंधित

भारत में जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) सरसों की खेती के लिए रास्ता खुल गया है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने व्यावसायिक खेती की मंजूरी दी है. सरसों की इस किस्म को चालू रबी सीजन में उगाया जाएगा या नहीं इसके लिए किसानों को सरकार के फैसले का इंतजार करना होगा. दरअसल ये कदम हरित समूहों और मधुमक्खी पालकों के विरोध के बीच उठाया गया है. बता दें कि सरकार ने अब तक साल 2002 में व्यावसायिक खेती के लिए केवल एक जीएम फसल बीटी कपास को मंजूरी दी है.

जीईएसी ने 18 अक्टूबर को एक बैठक में जीएम सरसों डीएमएच-11 को वाणिज्यिक स्तर पर जारी करने से पहले पर्यावरणीय परीक्षण की सिफारिश की है. डीएमएच-11 को दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स द्वारा विकसित किया गया है. तो सबसे पहले ये जान लीजिए की ये जीएम तकनीक है क्या?

क्या है जीएम तकनीक?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जीएम एक ऐसी तकनीक है, जिसमें जंतुओं एवं पादपों के डीएनए को अप्राकृतिक तरीके से बदला जाता है. जीएम तकनीक के तहत एक वनस्पति के जीन को निकालकर दूसरे असंबंधित वनस्पति में डाला जाता है. जीएम सरसों को प्रवर्धित करने के लिए सरसों के फूल में होने वाले स्व-परागण को रोकने के लिए नर नपुंसकता पैदा की जाती है. फिर हवा, तितलियों, मधुमक्खियों और कीड़ों के जरिये परागण होने से एक हाइब्रिड तैयार होता है.

किफायती खेती का रास्ता साफ
जीएम फसलों की व्यावसायिक खेती का समर्थन करने वालों का कहना है कि जीएम सरसों की पैदावार में लागत कम लगेगी और उपज ज्यादा समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए होगी. इतना ही इसके लिए कीटनाशकों की कम आवश्यकता पड़ेगी और इसमें कीटों-बीमारियों के प्रतिरोध की क्षमता अधिक है.

2010 में बीटी बैंगन प्रतिबंधित
2009 में जीईएसी ने बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दी थी. बड़े विरोध को समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने 2010 में इसको प्रतिबंधित कर दिया तथा इसके प्रभावों पर अध्ययन प्रारंभ किया. ये प्रतिबंध मोनसेंटो कंपनी के बीटी बैंगन पर लगा था. विरोध करने वालों ने स्वास्थ्य पर असर की आशंका जताई थी.

करीब 4 हजार रुपए सस्ता हो चुका है सोना, चांदी के दाम में भी गिरावट, जानिए फ्रेश प्राइस

सोमवार को भारत के वायदा बाजार में सोने के दाम में गिरावट (Gold Price Fall) देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से एमसीएक्स पर सोना (Gold Price Today) गिरकर 51,350 गिरकर 51,350 रुपए के साथ दिन के निचले स्तर पर आ समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए गई है।

Gold has become cheaper by about Rs 4000, silver prices also fall, know fresh price ssa

बिजनेस डेस्क। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को भारत के वायदा बाजार में सोने के दाम में गिरावट (Gold Price Fall) देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से एमसीएक्स पर सोना (Gold Price Today) गिरकर 51,350 गिरकर 51,350 रुपए के साथ दिन के निचले स्तर पर आ गई है। इसका मतलब है कि सोने के दाम मौजूदा महीने के हाई से 4000 रुपए सस्ता हो गया है। वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, सोने की कीमतें स्टेबल देखने को मिल रही है। विदेशी बाजारों में स्पॉट गोल्ड के दाम (Gold Spot Price) 1,921.समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए 80 डॉलर प्रति औंस के साथ सपाट स्तर देखने को मिल रही है। जोकि करीब दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वीपी कमोडिटीज राहुल कलंत्री ने लाइव मिंट से बात करते हुए कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद पिछले हफ्ते सोने और चांदी में गिरावट आई और आगामी नीतिगत बैठकों में 6 और दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया। यूएस फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष ने रूस-यूक्रेन वॉर के कारण हाई इंफ्लेशन और कम आर्थिक विकास के बारे में भी चिंता व्यक्त की। अधिकांश देशों में कोरोनावायरस के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। जियो पॉलिटिकल टेंशन को देखते हुए, कोरोनोवायरस के बढ़ते मामलों, वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतियों को कड़ा करने और वैश्विक महंगाई में बढ़ोतरी से कीमती धातुओं में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

किस लेवल पर खरीद सकते हैं सोना और चांदी
जानकारों के अनुसार सोने को 1912-1900 डॉलर पर सपोर्ट मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। जबकि 1940-1952 पर रसिसटेंस है। चांदी को 24.80-24.55 डॉलर पर सपोर्ट है, जबकि प्रतिरोध 25.62-25.90 डॉलर पर है। वहीं स्थानीय बाजार में सोने को 51,210-51,000 रुपए पर सपोर्ट है, जबकि 51,720-52,000 रुपए रसिसटेंस है। चांदी को 67,400- 66,950 रुपए पर समर्थन और प्रतिरोध स्तर जानिए समर्थन है जबकि प्रतिरोध 68,480-68,950 रुपए पर है।

ब्याज दरों में किया था इजाफा
फेड ने पिछले हफ्ते भी अपने बेंचमार्क रातोंरात ब्याज दर को एक चौथाई फीसदी बढ़ा दिया और अगले साल उधार लेने की लागत को प्रतिबंधात्मक स्तरों पर धकेलने के लिए एक आक्रामक योजना का अनुमान लगाया। फेड के दो सबसे कट्टर पॉलिसी निर्माताओं ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति से निपटने के लिए और अधिक आक्रामक कदम उठाने की जरूरत है। उच्च ब्याज दरें गैर-ब्याज भुगतान वाले सोने को रखने की अवसर लागत को बढ़ाती हैं।

गोल्ड हॉल्डिंग में इजाफा
इस बीच, दुनिया के सबसे बड़े स्वर्ण-समर्थित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट की होल्डिंग शुक्रवार को 0.8 फीसदी बढ़कर 1,082.44 टन हो गई जो कि मार्च 2021 के बाद से सबसे हाई है। अन्य कीमती धातुओं में हाजिर चांदी 0.2 फीसदी बढ़कर 25.00 डॉलर प्रति औंस हो गई, प्लैटिनम 0.7 फीसदी बढ़कर 1,029.21 डॉलर हो गया।

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