मुक्त व्यापार क्षेत्र

विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौता सामान्यतः आपस में विदेशी व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है। मुक्त व्यापार क्षेत्र मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत आपस में करार करने वाले देश विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं में, शून्य अथवा कम आयात शुल्क पर, आपस में आयात निर्यात करने हेतु सहमत होते हैं। इसका लाभ दोनों देशों को होता है। आयात करने वाले देश को अपेक्षाकृत कम कीमत पर वस्तुओं एवं सेवाओं की प्राप्ति होती है तो दूसरी ओर निर्यात करने वाले देश के निर्यात में वृद्धि होती है।
भारत में मुक्त व्यापार की स्थापना क्यों की गई?
Explanation : मुक्त या स्वतंत्र व्यापार क्षेत्र (Free Trade Zone) वह क्षेत्र विशेष होता हे। जहां से वस्तुओं के निर्माण, निर्यात, प्रसंस्करण आदि की सुविधा होती है। उपर्युक्त क्षेत्र कस्टम ड्यूटभ्, उत्पाद शुल्क आदि से भी मुक्त होते हैं। जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है।. अगला सवाल पढ़े
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भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता दोनों पक्षों के लिये फायदेमंद होगा : ब्रिटिश मंत्री
डे नाईट न्यूज़ ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मामलों की मंत्री केमी बैडेनओच ने कहा कि भारत के साथ होने वाला मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) ऐसा होगा, जो दोनों देशों के लिये फायदेमंद हो। यह किसी क्षेत्र विशेष पर केंद्रित नहीं होगा। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब प्रधानमंत्री स्तर पर समझौते को पूरा करने के लिये दिवाली तक की समयसीमा करीब आ गयी है। दिवाली 24 अक्टूबर को है।
प्रधानमंत्री लिज ट्रस की अगुवाई वाली सरकार में एफटीए पर बातचीत की प्रभारी बैडेनओच ने बर्मिंघम में कंजर्वेटिव पार्टी के वार्षिक सम्मेलन में देश के सेवा क्षेत्र के लिये भारतीय बाजार में पहुंच के बारे में जतायी गयी चिंताओं को दूर करते हुए यह बात कही।
वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने संकेत दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने जो दिवाली की समयसीमा दी थी, वह सोच-विचार कर दी थी। इस लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। कुछ पहलुओं पर समयसीमा बाद निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि जो भी हो व्यापक हो। लेकिन वह दोनों देशों के लिये सही हो।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री ने जो मुक्त व्यापार क्षेत्र समयसीमा दी थी, उसके लिये काफी समय था। यह कोई मनमाना नहीं था बल्कि सोच-विचार कर दिया गया था। लेकिन व्यापार समझौता कोई आसान काम नहीं है। इसीलिए, हम जो करना चाहते हैं वह कुछ ऐसा है जो दोनों देशों के लिये फायदेमंद हो। सेवा क्षेत्र जो चाहता है, वह सब कुछ नहीं हो सकता है, हमें सब कुछ नहीं मिल सकता है। हम कोई एकतरफा समझौता नहीं कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस समझौते का मकसद द्विपक्षीय व्यापार में बाधाओं को दूर करना और उत्पाद तथा बाजार पहुंच को लेकर हर पक्ष की जरूरतों के बीच संतुलन बनाना है।
चीन 6 नए मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र स्थापित करेगा
चीन 6 नए मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र स्थापित करेगा
बीजिंग, 26 अगस्त (आईएएनएस)| चीनी राज्य परिषद ने हाल में छह नए मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र स्थापित करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसके अनुसार, शानतोंग, च्यांगसू, क्वांगशी, हपेई, युन्नान और हेलोंगच्यांग प्रांतों में मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र की स्थापना की जाएगी। यह नए युग में सुधार और खुलेपन को आगे बढ़ाने वाला रणनीतिक कदम है। प्रस्ताव में विभिन्न मुक्त व्यापार क्षेत्र के परीक्षण मिशन पेश किया गया। शानतोंग मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र में नई और पुरानी विकसित ऊर्जा के परिवर्तन को आगे बढ़ाया जाएगा, समुद्री अर्थतंत्र और समुद्री विशेषता वाले उद्योग का विकास किया जाएगा। चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच स्थानीय सहयोग में गति दी जाएगी।
च्यांगसू मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र में खुले आर्थिक विकास के अग्रिम इलाके की स्थापना की जाएगी। वास्तविक अर्थतंत्र के सृजनात्मक विकास और औद्योगिक परिवर्तन की उन्नति की आदर्श मिसाल वाले क्षेत्र की स्थापना की जाएगी। विदेशी निवेश के सहयोगी स्तर को उन्नत किया जाएगा, वित्त द्वारा वास्तविक अर्थतंत्र के समर्थन को मजबूत किया जाएगा और विनिर्माण उद्योग के नवाचार विकास का समर्थन किया जाएगा।
क्वांगशी मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र में आसियान के उन्मुख अंतरराष्ट्रीय थल और समुद्री व्यापारिक रास्ते का निर्माण किया जाएगा, इस क्षेत्र को 21वीं सदी में समुद्री रेशम मार्ग और रेशम मार्ग आर्थिक पट्टी को जोड़ने वाला अहम द्वार बनाया जाएगा।
हपेई मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक लोजिस्टिक्स का महत्वपूर्ण केंद्र, नए औद्योगिक अड्डे, वैश्विक सृजनात्मक क्षेत्र और खुलेपन के अग्रिम इलाके का निर्माण किया जाएगा।
युन्नान मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र में 'बेल्ट एंड रोड' और यांगत्सी नदी आर्थिक बेल्ट के बीच आपसी संपर्क वाले महत्वपूर्ण रास्ते की स्थापना की जाएगी, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण केंद्र की स्थापना की जाएगी।
वहीं हेलोंगच्यांग मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र में औद्योगिक ढांचे का परिवर्तन करते हुए रूस और उत्तर पूर्व एशियाई क्षेत्र में सहयोग का केंद्र स्थापित किया जाएगा। वास्तविक अर्थतंत्र और सृजनात्मक विकास को आगे बढ़ाते हुए रूस और उत्तर पूर्व एशिया के उन्मुख यातायात लोजिस्टिक्स केंद्र के निर्माण में गति दी जाएगी।
(साभार-चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पेइचिंग)
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भारत के विदेशी व्यापार को गति देने में सहायक होंगे मुक्त व्यापार समझौते
विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौता सामान्यतः आपस में विदेशी व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है। मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत आपस में करार करने वाले देश विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं में, शून्य अथवा कम आयात शुल्क पर, आपस में आयात निर्यात करने हेतु सहमत होते हैं। इसका लाभ दोनों देशों को होता है। आयात करने वाले देश को अपेक्षाकृत कम कीमत पर वस्तुओं एवं सेवाओं की प्राप्ति होती है तो दूसरी ओर निर्यात करने वाले देश के निर्यात में वृद्धि होती है।
हाल ही के वर्षों में वैश्विक व्यापार प्रणाली में मुक्त व्यापार समझौतों, क्षेत्रीय व्यापार समझौतों, व्यापार आर्थिक साझेदारी समझौतों एवं तरजीही व्यापार समझौतों का योगदान बहुत तेजी से बढ़ा है। पूरे विश्व के विदेशी व्यापार का एक बड़ा भाग आजकल मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के अंतर्गत हो रहा है। विश्व में आज लगभग सभी देश किसी न किसी मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौते का हिस्सा बन गए हैं।
विभिन्न मुक्त व्यापार क्षेत्र देशों के बीच मुक्त व्यापार अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौता सामान्यतः आपस में विदेशी व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है। मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत आपस में करार करने वाले देश विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं में, शून्य अथवा कम आयात शुल्क पर, आपस में आयात निर्यात करने हेतु सहमत होते हैं। इसका लाभ दोनों देशों को होता है। आयात करने वाले देश को अपेक्षाकृत कम कीमत पर वस्तुओं एवं सेवाओं की प्राप्ति होती है तो दूसरी ओर निर्यात करने वाले देश के निर्यात में वृद्धि होती है।
इस प्रकार विभिन्न देशों के बीच, मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के कारण, विदेशी व्यापार में वृद्धि होने से, इन देशों की आय में वृद्धि होती है, रोजगार के अवसर बढ़ते हैं तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों की संख्या में कमी होती है।
भारत ने भी अभी तक 12 मुक्त व्यापार एवं क्षेत्रीय व्यापार समझौते विभिन्न देशों के साथ किए हुए हैं। यह मुक्त व्यापार समझौते भारत के विदेश व्यापार को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारत पूर्व में श्रीलंका, नेपाल, दक्षिणी कोरिया, जापान, मलेशिया, मारिशस, अफगानिस्तान, चिली, मरकोसुर आदि देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) अथवा तरजीही व्यापार समझौते कर चुका है।
इसी प्रकार भारत ने कुछ क्षेत्रीय व्यापार समझौते भी किए हैं जैसे दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौता (एसएएफटीए), भारत एशिया एनएफटीए, एशिया पेसिफिक व्यापार समझौता, सार्क तरजीही व्यापार समझौता (एसएपीटीए), आदि।
अभी हाल ही में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ मुक्त व्यापार समझौता सम्पन्न किया है तथा ब्रिटेन, अमेरिका एवं यूरोपीयन यूनियन देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्रता से सम्पन्न किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि जिन देशों के साथ उक्त विकसित देशों के मुक्त व्यापार समझौते सम्पन्न किए जा चुके हैं उन देशों को उक्त विकसित देशों के साथ विदेशी व्यापार करने में वरीयता प्रदान की जाती है जिसके कारण भारतीय व्यापारियों को उक्त विकसित देशों के साथ विदेशी व्यापार करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौता सामान्यतः उन देशों के बीच होता है जिनमें आपस में प्रतिस्पर्धा न हो। इससे आयात करने वाले देश को तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की प्राप्ति होती है वहीं निर्यात करने वाला देश, निर्यात में हुई वृद्धि के चलते पैमानागत मितव्ययिता (इकानामी आफ स्केल) प्राप्त करने में सफल हो जाता है और उस वस्तु एवं सेवा की लागत कम होने के कारण, उस वस्तु अथवा सेवा को कम कीमत पर, करार के अन्य सदस्य देशों को भी बेच सकता है।
साथ ही, मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के चलते विभिन्न विकासशील देश विकसित देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहते हैं क्योंकि ये देश इन समझौतों के अंतर्गत वरीयता प्राप्त देशों की श्रेणी में आ जाते हैं।
भारत में तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास के चलते पूरे विश्व की नजरें आज भारत के दिन प्रतिदिन विशाल हो रहे मुक्त व्यापार क्षेत्र बाजार पर टिकी हुई हैं। आज प्रत्येक देश भारतीय बाजार में आकर व्यापार करना चाहता है क्योंकि यहां विभिन्न उत्पादों की मांग बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। भारतीय बाजार में पहुंचने का आसान रास्ता मुक्त व्यापार समझौता ही है। इसलिए विशेष रूप से विकसित देश बहुत लालायित हैं कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता जल्द से जल्द सम्पन्न हों।
हालांकि मुक्त व्यापार समझौते करने से भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में भी आकर्षक वृद्धि देखने में आई है क्योंकि इन देशों में भारत से आयातित वस्तुओं पर आयात शुल्क में कमी कर दी जाती है और मुक्त व्यापार समझौते करने वाले देश के साथ भारत में उत्पादित वस्तुएं प्रतिस्पर्धी हो जाती हैं। जिसके चलते, इन देशों, जापान एवं दक्षिण कोरिया को छोड़कर, के साथ भारत का व्यापार घाटा कम हुआ है एवं व्यापार आधिक्य में वृद्धि हुई है।
विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने में बहुत कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ रहा है क्योंकि ये देश भारत पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत द्वारा कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली सब्सिडी की राशि को घटाया जाय ताकि कृषि क्षेत्र इन देशों के साथ प्रतिस्पर्धी बन सके एवं इन देशों के कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खुल सकें। परंतु भारत ने भी देश के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए विकसित देशों की इस मांग को नहीं माना है।
भारतीय सेवा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रतिस्पर्धी है अतः भारत भी इन देशों के साथ लगातार प्रयास कर रहा है कि वे भारतीय सेवा क्षेत्र के लिए अपने बाजार खोलें ताकि भारतीय इन देशों में जाकर आसानी से रोजगार प्राप्त कर सकें।
भारत द्वारा विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के पूर्व एक और मुद्दे पर मतभेद जारी हैं। भारतीय फार्मा उद्योग वर्गीय दवाईयों के उत्पादन का लाभ बहुत बड़े पैमाने पर उठा रहा है जिसके चलते भारत से दवाईयों का निर्यात पूरे विश्व को हो पा रहा है।
विकसित राष्ट्र इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी राईट्स (आईपीआर) सम्बंधी नियमों को कड़ा करना चाह रहे हैं ताकि भारत के फार्मा उद्योग में कसावट लाई जा सके। भारत के लिए, ऑनलाइन किए जा रहे डिजिटल व्यापार के संदर्भ में दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था में भी अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं, इसके सम्बंध में नियमों पर भी अभी सहमति नहीं बन पाई है।
विकसित देशों से मुक्त व्यापार समझौता करने के फायदे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में भी दिखाई देते हैं एवं इस निवेश के साथ तकनीकी भी स्थानांतरित होती है परंतु क्या भारतीय कम्पनियां इन विशाल विदेशी बहुदेशीय कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने को तैयार हैं?
भारत को अपना ध्यान दक्षिण अफ़्रीकी देशों, दक्षिण एशियाई देशों एवं लेटिन अमेरिकी देशों की ओर भी देना चाहिए क्योंकि इन देशों के साथ भारतीय कम्पनियां आसानी से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं एवं इन देशों की विशाल जनसंख्या के कारण भारत को अपने उत्पादों के लिए विशाल बाजार भी उपलब्ध होगा। अतः इन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते का लाभ भारत को अधिक मिलने की सम्भावना होगी।
(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। आर्थिक विषयों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)